कैली। शंकुधारी वृक्ष जैसे चीड़, देवदार ही नहीं साइकैड पौधे पाम, नारियल जैसे वृक्षों की प्रजातियां भी विलुप्त की ओर बढ़ रही है। आलम यह है कि 30 फीसदी से ज्यादा ऐसे वृक्षों में कमी आई है। इसका सीधा असर जीवन और जीवों पर पड़ रहा है।
दुनिया में पेड़ों की एक तिहाई से ज्यादा प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। अर्थ यह कि यदि अभी ध्यान न दिया गया तो पेड़ों की 38 फीसदी प्रजातियां खत्म हो जाएंगी। इससे दुनियाभर में प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ जाएगा कि सांसों पर संकट आना तय है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की नई रिपोर्ट में ये हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं। पहली बार दुनिया के अधिकांश पेड़ों को आईयूसीएन की ‘रेड लिस्ट’ में शामिल किया गया है। इसके अनुसार, दुनिया में पेड़ों की 47,282 ज्ञात प्रजातियों में से कम से कम 16,425 पर विलुप्त होने का खतरे मंडरा रहा है। आईयूसीएन खतरे में पड़ी सभी प्रजातियों की ‘रेड लिस्ट’ जारी करती है। रेड लिस्ट में शामिल सभी प्रजातियों में से एक चौथाई से अधिक पेड़ हैं। अर्थ यह कि पेड़ों की संकटग्रस्त प्रजातियों की संख्या इस सूची में खतरे में पड़ी पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृपों और उभयचरों की कुल संख्या के दोगुने से भी अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, 192 देशों में पेड़ों की प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। बता दें कि आईयूसीएन रेड लिस्ट में अब तक 1,66,061 प्रजातियों को शामिल किया गया है, जिनमें से 46,337 प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है। अध्ययन के मुताबिक विश्व में द्वीपों पर सबसे ज्यादा पेड़ खतरे में हैं। शहरीकरण, कृषि के लिए वनों को काटने समेत कीटों और बीमारियों के कारण द्वीप के पेड़ विशेष रूप से उच्च जोखिम में हैं। जलवायु में आते बदलवाव मंडराते खतरे में इजाफा कर रहे हैं। समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और तेज तूफान आ रहे हैं। ऐसे में इन पेड़ों को बचाने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरत है। इनके आवासों को बहाल करने के साथ-साथ बीज बैंक, और वनस्पति उद्यान जैसी पहल इसमें मददगार साबित हो सकती हैं। क्यूबा, मेडागास्कर और फिजी जैसे देशों में पहले ही ऐसे सामुदायिक प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। शोधार्थियों का दावा है कि दक्षिण अमेरिका में दुनिया में पेड़ों की सबसे ज्यादा विविधता मौजूद है। यहां 13,668 में से 3,356 प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा है। इन पेड़ों को बचाना एक बड़ी चुनौती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कृषि और मवेशियों की चराई के लिए बड़े पैमाने पर वनों का विनाश किया जा रहा है।