लखनऊ। राजेन्द्र तिवारी
सपा सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति सहित तीन आरोपियों को एमपी /एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने सामूहिक दुष्कर्म एवं पास्को एक्ट के अपराध का दोषी करार दिया है। सजा के प्रश्न पर सुने जाने के लिए सभी आरोपियों को 12 नवंबर के लिए अदालत ने जेल से तलब किया है। दूसरी ओर अदालत ने इसी मामले में अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, विकास वर्मा, चंद्रपाल एवं रुपेश्वर उर्फ रुपेश को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। इन सभी आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने अदालत के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया था। मामले में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति, अशोक तिवारी, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, विकास वर्मा ,चंद्रपाल रूपेश्वर उर्फ रूपेश तथा आशीष कुमार जेल में बंद रहे। अदालत ने अपने 41 पृष्ठीय आदेश में कहा है कि अभियोजन पक्ष गायत्री प्रसाद प्रजापति, अशोक तिवारी एवं आशीष कुमार शुक्ला के विरुद्ध अपना मामला साबित करने में पूर्ण रूप से सफल रहा है।
अभियोजन की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सच्चिदानंद राय एवं विशेष अधिवक्ता रमेश कुमार शुक्ला का तर्क था कि इस प्रकरण की रिपोर्ट चित्रकूट की रहने वाली महिला द्वारा 18 फरवरी 2017 को राजधानी के गौतम पल्ली थाने पर दर्ज कराई गई थी। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सभी आरोपियों ने उसके साथ सामूहिक दुराचार किया तथा उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी दुराचार करने का प्रयास किया। आरोप है कि खनन का कार्य और नौकरी दिलाने के लिए आरोपियों ने महिला को लखनऊ बुलाया तथा भिन्न-भिन्न स्थानों पर उसके साथ दुराचार किया गया ।महिला का आरोप है कि उसके द्वारा घटना की विस्तृत रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक से भी की गई थी लेकिन कोई कार्यवाही न होने पर उसके द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गई थी। जिस पर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश हुआ था। निर्णय सुनाए जाने के समय पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति व्हीलचेयर पर बैठकर न्यायालय के समक्ष उपस्थित थे। निर्णय सुनाए जाने के समय भारी संख्या में पुलिस बल एवं पीएसी मौजूद थी। अदालत दोषियों को अब 12 नवंबर को सजा के बिंदु पर सुनने के उपरांत कारावास एवं अर्थदंड की सजा से दंडित करेगी।