नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के बीच जयंती योग होने से इस बार कृष्ण के जन्म पर द्वापर युग जैसा संयोग होगा। इतना ही नहीं कृष्ण जन्म पर वृषभ राशि में चन्द्रमा होंगे और सर्वार्थ सिद्ध योग भी होगा। यही कारण है कि इस बार गृहस्थ और वैष्णव एक साथ 30 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाएंगे।
जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा वृष राशि में रहने के साथ ही जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, चंद्रमा वृष राशि में होने से द्वापर युग जैसा संयोग इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा है। अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के बीच जयंती योग में श्रीकृष्ण आज रात 12 बजे जन्म लेंगे। रविवार को रात 11:25 पर अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी। ऐसे में सूर्य उदयनी तिथि के अनुसार सोमवार को व्रत रखें। रोहिणी नक्षत्र भी सोमवार को सुबह 6:39 बजे से शुरू हो जाएगा। धार्मिक विद्वानों का कहना है श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर सोमवार को व्रत रखना लाभकारी होगा। मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की विशेष रूप से पूजा आराधना करनी चाहिए। इस दौरान बाल गोपाल का शंख से पंचामृत अभिषेक कर केसर मिले हुए दूध और गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। साथ ही बाल गोपाल का अभिषेक करने के दौरान लगातार ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।