अयोध्या। अर्पणा पांडेय
प्रभु श्रीराम अयोध्या आ गया। श्रीराम के आते ही अयोध्या ने दिव्य और भव्य रूप ले लिया। 500 वर्षों का चिरप्रतीक्षित इंतजार खत्म हुआ। यह उद्गार उन सभी रामक्तों के हैं जो प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी बने। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा अंतर्मन में कुछ भावनाएं ऐसी हैं जिन्हें व्यक्त करना शब्दों में संभव नहीं है। मन भावुक है, भाव विभोर है, भाव विह्वल है। आज वह समय आ गया है, जिसकी प्रतीक्षा थी। संतोष है कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया था।
अयोध्याधाम में श्रीरामलला के बालरूप विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह एक नगर या तीर्थ का विकास नहीं है। यह उस विश्वास की विजय है। यह लोगों के विश्वास की विजय है। भारत के गौरव की पुनर्प्रतिष्ठा है। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर की स्थापना भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आध्यात्मिक अनुष्ठान है, यह राष्ट्र मंदिर है। निःसन्देह! श्रीरामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा राष्ट्रीय गौरव का ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने कहा कि अयोध्या को अवनि की अमरावती और धरती का बैकुंठ कहा जाता है, वह सदियों तक उपेक्षित रही।
सुनियोजित तिरस्कार झेलती रही। अपनी ही भूमि पर सनातन आस्था चोटिल होती रही। लेकिन राम तो संयम की शिक्षा देते हैं। भारतीय समाज ने संयम रखा। आखिरकार वह दिन आ ही गया, जिसका इंतजार करोड़ों भारतीय को सदियों से था। आज श्रीराम का नवनिर्मित मंदिर तैयार हो गया और रघुनंदन अपने भवन में विराज गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि रामकृपा से अब अयोध्या की परिक्रमा में कभी कोई भी बाधक नहीं बनेगा। अयोध्या की गलियों में गोलियों की गड़गड़ाहट नहीं होगी। कर्फ्यू नहीं लगेगा। अपितु राम नाम संकीर्तन से गुंजायमान होगी। आज इस ऐतिहासिक और अत्यंत पावन अवसर पर भारत का हर नगर- हर ग्राम अयोध्याधाम है। हर मार्ग श्रीरामजन्मभूमि की ओर आ रहा है। हर मन में राम नाम है। हर आंख हर्ष और संतोष के आंसू से भीगा है। हर जिह्वा राम-राम जप रही है। रोम रोम में राम रमे हैं। पूरा राष्ट्र राममय है।
ऐसा लगता है हम त्रेतायुग में आ गए हैं। आज रघुनन्दन राघव रामलला, हमारे हृदय के भावों से भरे संकल्प स्वरूप सिंहासन पर विराज रहे हैं। आज हर रामभक्त के हृदय में प्रसन्नता है, गर्व है और संतोष के भाव हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आखिर भारत को इसी दिन की तो प्रतीक्षा थी। भाव-विभोर कर देने वाली इस दिन की प्रतीक्षा में लगभग पांच शताब्दियां व्यतीत हो गईं, दर्जनों पीढ़ियां अधूरी कामना लिए इस धराधाम से साकेतधाम में लीन हो गईं, किन्तु प्रतीक्षा और संघर्ष का क्रम सतत जारी रहा। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत ‘रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥’ श्लोक से की। उन्होंने उद्घोष किया, प्रभु श्रीरामलला की जय! सरयू मइया की जय! भारत माता की जय! जय जय श्रीसीता राम ! उपस्थित लोगों को मुख्यमंत्री ने शुभकामनाएं देते हुए कहा- प्रभु श्रीरामलला के भव्य- दिव्य और नव्य धाम में विराजने की आप सभी को कोटि-कोटि बधाई।