लखनऊ। राजेन्द्र तिवारी
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उनके गुरु बलदेव गिरि महाराज की समाधि स्थल के बगल बाघंबरी मठ में भू-समाधि दी गयी। मठ के आचार्यों और संतों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महंत को समाधिस्ठ किया। महंत नरेंद्र गिरि की समाधि स्थल के बगल में ही उनके गुरु बलदेव गिरि को 2004 में भू-समाधि दी गयी थी। इस समाधि को शिवलिंग का रूप दिया गया है। गुरु की समाधि की तरह ही महंत नरेंद्र गिरि की भी समाधि शिवलिंग रूप में निर्मित की जाएगी। जहां उन्हें भू-समाधि दी गयी है वह मठ के पार्क के रूप में है। इसमें महंत के प्रिय नीबू पेड़ के अलावा पीपल, अशोक, नारियल, सुपारी के पेड़ हैं। साथ ही एक हिरण और उसके बच्चे की अनुकृति भी स्थापित है। महंत नरेंद्र गिरि की अंतिम यात्रा में बुधवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और मंत्री व साध्वी निरंजन ज्योति भी शामिल हुईं। संगम तक जाने के बाद उप मुख्यमंत्री वापस हुए, जबकि साध्वी निरंजन ज्योति पूरी शव यात्रा के दौरान उसी वाहन में सवार रहीं जिसमें महंत नरेंद्र गिरि का पार्थिव शरीर था। वो अंतिम पड़ाव तक साथ गईं।
शव वाहन दोपहर 2:16 बजे जब तक सूरज चांद रहेगा, महंत नरेंद्र गिरि का नाम रहेगा…जैसे गगनभेदी नारों के बीच बाघंबरी मठ पहुंचा। मठ के संतों और आचार्यों ने महंत के पार्थिव शरीर को वाहन के उतारकर मंत्रोच्चार के साथ चांवर झलते हुए समाधि स्थल तक ले गए। वहां अखाड़े की संत सनातन परंपरा अनुसार भू-समाधि दी गयी। इसके पूर्व महंत के पार्थिव देह को परंपरा के अनुसार लंगोटी, सोंटा, रुद्राक्ष धारण कराया गया। अनुभवी शिष्य ने महंत के कान में समाधि मंत्र का उच्चारण किया। घी, चंदन, पुष्प, सुगंधित सामग्री समेत तीन कुंतल नमक और तीन कुंतल चीनी समाधि में अर्पित की गयी। समाधि देने से पूर्व विधिविधान से अभिषेक, पूजन किया गया।
महंत को समाधि देने के लिए आठ गुणा दस फीट लंबा और आठ गुणा चार फीट का सुरंग नुमा गड्ढा खोदा गया था। समाधि स्थल में महंत के देह में चंदन लेप करके उत्तर दिशा में ध्यान मुद्रा में समाधि पूरे विधानपूर्ण तरीके से दी गई। देश के मठ-मंदिरों, अखाड़ों, धार्मिक संस्थाओं से जुड़े संत, आचार्यों, मठ के बटुकों ने महंत को श्रद्धाभाव के मिट्टी, पुष्प, पैसा आदि अर्पित कर नमन किया। भू-समाधि देने के पूर्व महंत की शव यात्रा मठ से संगम तक निकाली गयी गई। संगम में महंत के पार्थिव शरीर को स्नान कराने के बाद नए वस्त्र धारण कराए गए। स्नान कराने के बाद यात्रा बड़े हनुमान मंदिर पहुंची। महंत बड़े हनुमान मंदिर के प्रमुख थे।
इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि, निरंजनी अखाड़ा परिषद के महंत रवीन्द्र पुरी, महंत नरेश गिरि, महंत केशव पुरी, महंत राधेश्याम पुरी, स्वामी विमल देव, स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती, बलराम गिरि, स्वामी धर्मदास, महिला अखाड़ा प्रमुख त्रिकाल भवंता, स्वामी राधा माधव, महंत जमुनापुरी, किन्नर अखाड़ा की कौशल्या नंद गिरि, महंत वैभव गिरि समेत बड़ी संख्या में लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।