पेरिस। ऐप पर चल रही अंगुलियां कार्बन उत्सर्जन कर पर्यावरण को खतरे में डाल रही हैं। यू-टयूब से हर मिनट 2.921 ग्राम का कार्बन उत्सर्जन हो रहा। 2.921 ग्राम का उत्सर्जन टिकटॉक जबकि 2.912 ग्राम का उत्सर्जन इंस्टाग्राम से हो रहा। कार्बन उत्सर्जन पर नजर रखने वाली फ्रांस की एजेंसी ग्रीनली ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया है।
रिपोर्ट के अनुसार सोशल मीडिया पोस्ट, लाइक, कमेंट और शेयर के बढ़ते चलन से दुनियाभर में कार्बन उत्सर्जन का दायरा बढ़ रहा। एक व्यक्ति जो टिकटॉक का इस्तेमाल करता है वो ऐप से सालाना 48.49 किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन कर रहा। यू-ट्यूब से 40.17 और इंस्टाग्राम से 32.52 किलोग्राम उत्सजर्न होता है। टिकटॉक से होने वाला उत्सर्जन गैस से चलने वाली कार के 197 किलोमीटर चलने के बराबर है। यू-टूयब से 164 और इंस्टाग्राम से 133 किलोमीटर कार चलाने के बराबर उत्सर्जन हो रहा। भारत में प्रतिबंधित टिकटॉक अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस में सालाना 7.6 मिलियन मिट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन कर रहा। यही हाल दूसरे ऐप का है जिनके बढ़ते इस्तेमाल से पर्यावरण में कार्बन का जहर तेजी से घुल रहा। एक्स, स्नैपचैट और दूसरे ऐप भी इसमें सबसे आगे हैं लेकिन वीडियो प्लेटफॉर्म से सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन देखा गया है। लोग ऐप के आदी हो गए हैं। एक व्यक्ति दिनभर में करीब 45 मिनट टिकटॉक पर गुजार रहा। इसी तरह इंस्टाग्राम पर एक व्यक्ति औसतन 30.6 मिनट का समय गुजार रहा है। ग्रीनली के चीफ एक्जक्यूटिव एलेक्सिस नॉरमंड का कहना है कि दस में से चार व्यक्ति वीडियो बना रहा। इसमें से 50 फीसदी लोग 24 घंटे के भीतर उसे पोस्ट कर रहे हैं।