जोहानिसबर्ग।
दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री नलेदी पंडूर ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि ब्रिक्स देशों ने इस बात पर सहमति जताई है कि वे अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को तब तक मान्यता नहीं देंगे, जब तक कि उन्हें आश्वासन नहीं मिलता कि काबुल में सत्ता पर काबिज हुआ संगठन अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करेगा।
गुरुवार को हुए ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों के 13वें शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने हिस्सा लिया था।
पंडूर ने रेडियो स्टेशन 702 से बातचीत में कहा, ‘हमने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन किया, जिसमें हमारे राष्ट्रपति ने अपने विचार रखे। इसके बाद ब्रिक्स ने एक बयान जारी कर दो टूक कहा कि हम अफगानिस्तान में लोकतंत्र की बहाली और वहां के लोगों के लिए मानवाधिकारों की स्वतंत्रता चाहते हैं। ऐसा न होने तक तालिबान को ब्रिक्स की मान्यता नहीं मिलेगी।’
ब्रिक्स में दुनिया के पांच सबसे बड़े विकासशील देश शामिल हैं। यह समूह 41 फीसदी वैश्विक आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में इसकी 24 फीसदी, जबकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी दर्ज की गई है। पंडूर ने कहा, ‘हमें जब तक आश्वासन नहीं दिया जाता कि जो सरकार बनी है, वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने की मंशा रखती है, तब तक हम किसी भी तरह की मान्यता नहीं देंगे।’