काबुल।
अफगानिस्तान में तालिबान ने मंत्रिमंडल का गठन कर लिया। मंगवार को उसका विस्तार भी हो गया, बावजूद किसी महिला को उसमें जगह नहीं दी गई है। तालिबान की रणनीति के जानकारों को कहना है कि तालिबानी मंत्रिमंडल का दरवाजा महिलाओं के लिए बंद हो गया है।
तालिबान ने मंगलवार को नए मंत्रियों तथा उप मंत्रियों को शामिल कर अंतरिम मंत्रिमंडल का विस्तार किया, लेकिन एक बार फिर किसी भी महिला को शामिल नहीं किया गया। इस महीने की शुरुआत में मंत्रियों के चयन के दौरान भी मंत्रिमंडल में किसी महिला को शामिल नहीं किया गया था। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई थी। तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में यह सूची पेश की। हालांकि आलोचना के बाद मुजाहिद ने मंत्रिमंडल में नए लोगों को शामिल किए जाने का बचाव करते हुए कहा कि हजारा जैसे जातीय अल्पसंख्यकों के सदस्य शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को उनके तकनीकी कौशल को लेकर चुना गया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बाद में शामिल किया जा सकता है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट विवरण नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि किशोर उम्र की लड़कियों और महिलाओं को इस्लामी कानून के अनुरूप स्कूलों और नौकरियों में लौटने की अनुमति देने के लिए तालिबान नियम तैयार कर रहा है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि ऐसा कब तक हो सकता है। वहीं उन्होंने मान्यता के लिए अंतरराष्ट्रीय शर्तों की आलोचना करते हुए कहा कि इसे रोकने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी है कि उनकी सरकार को मान्यता दे और यूरोपीय, एशियाई तथा इस्लामी देशों सहित अन्य देश उनके साथ राजनयिक संबंध रखने के लिए उनकी सरकार को मान्यता दें। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कहा है कि वह तालिबान को उनके कार्यों से आंकेगा और तालिबान नीत सरकार की मान्यता महिलाओं और अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार से जुड़ा हुआ है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में 2001 में तालिबानी शासन के अंत होने के बाद महिलाओं की स्थितियों में सुधार होने लगी। हामिद करजई के सत्ता पर काबिज होने के बाद राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने लगी थी। सुहेला सेदिक्की, सिमा समर, हुसैन बनू गजानफर और सुराया दलील समेत कई अन्य ने मंत्री का पदभार संभाला था। वहीं, अफगानिस्तान में हबीबा सरबी पहली महिला गवर्नर बनी थी। उन्होंने महिला मामलों के मंत्री के रूप में भी कार्य किया था। आजरा जाफरी दयाडी प्रांत की राजधानी नीली की पहली महिला महापौर बनी थी। इसके साथ ही शुक्रिया बराकजई, फौजिया गेलानी, निलोफर इब्राहिमी, फौजिया कूफी, मलालाई जॉय और कई अन्य महिलाओं ने अफगान संसद के सदस्यों के रूप में कार्य किया था।