वाशिंगटन। स्वीडन का उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने का लंबा इंतजार गुरुवार को खत्म हो गया। स्वीडन 32वें सदस्य के रूप में नाटो में शामिल हो गया। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही स्वीडन भी सैन्य गठबंधन में शामिल होने के लिए तैयार था। स्वीडिश प्रधान मंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन और राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन ने समारोह की अध्यक्षता के बाद इसकी जानकारी दी।
आधिकारिक घोषणा के बाद बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में स्थित नाटो मुख्यालय में स्वीडन का झंडा भी फहराएगा। इस दौरान व्हाइट हाउस ने कहा कि स्वीडन को नाटो सहयोगी के रूप में रखने से अमेरिका और सहयोगियों की सुरक्षा और बढ़ जाएगी। बता दें, नाटो में अभी 31 देश शामिल हैं। पिछले साल फिनलैंड ने 31वें देश के रूप में सदस्यता ली थी। नाटो के देश सभी सैन्य मामलों में एकदूसरे की मदद करते हैं। नाटो सदस्य तुर्किए और हंगरी की आपत्तियों के कारण स्वीडन की सदस्यता रुकी हुई थी। तुर्किए ने चिंता जताई थी कि स्वीडन कुर्द समूहों को पनाह दे रहा है और उनके खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं कर रहा है। हालांकि, इस साल की शुरुआत में स्वीडन को सहमति दे दी थी। वहीं हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन की सरकार ने जुलाई 2022 में नाटो में स्वीडन के प्रवेश को मंजूरी देने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया था लेकिन सांसदों के विरोध के कारण ये पास नहीं हो सका था। पिछले हफ्ते हंगरी की संसद ने भी मंजूरी दे दी, जिसके बाद सदस्यता का रास्ता साफ हो गया था।