हल्द्वानी। टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन पर 142 साल में तीसरी बार सर्वे का काम शुरू हुआ है। स्काईलार्क इंजीनियरिंग संस्था ने चिह्नित स्थानों पर पिलर लगाने का काम शुरू कर दिया है। वर्ष 1882 में अंग्रेजों ने पहली बार रेल लाइन का सर्वे कराया था। टनकपुर-बागेश्वर के बीच रेल लाइन का सपना एक बार फिर से साकार होता दिख रहा है। टनकपुर में शारदा नदी से होते हुए बहुप्रतीक्षित बागेश्वर तक लाइन के सर्वे का काम शुरू हो गया है। नोएडा की कार्यदायी संस्था स्काईलार्क इंजीनियरिंग डिजाइनिंग प्राइवेट लिमिटेड की टीम ने टनकपुर से बागेश्वर की ओर जमीन का चिह्नीकरण करना शुरू कर दिया है। इसके लिए विभिन्न जगहों पर पिलर लगाने का काम चल रहा है। रेल लाइन के लिए कई हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन बिछाए जाने की मांग वर्षों पुरानी है। अंग्रेजों के समय में 1882 में पहली बार ब्रिटिश शासन काल में टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन का सर्वे हुआ था। इसके बाद पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में भी सर्वे हुआ था। रेल लाइन को लेकर लोगों ने कई बार आंदोलन भी किया है। रेल लाइन निर्माण से पहाड़ के तीन जिलों चम्पावत, अल्मोड़ा और बागेश्वर तक का सफर सुगम हो जाएगा। अभी कुमाऊं के लोगों को राजधानी दिल्ली और अन्य महानगरों में जाने के लिए काठगोदाम और टनकपुर से ट्रेन पकड़नी पड़ती है। सर्वे आदि काम के लिए टनकपुर में अतिक्रमण हटाने का कार्य भी शुरू हो गया है। स्टेशन अधीक्षक केडी कापड़ी ने बताया कि जिला न्यायालय से अपने पक्ष में फैसला आने के बाद अतिक्रमण हटाया जा रहा है। बताया कि अगले चरण में अभी 108 अतिक्रमणकारियों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी।