नई दिल्ली। टीएल आई
उच्चतम न्यायालय के जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन के सेवानिवृत्त होने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने भावपूर्ण विदाई दी। सीजेआई ने कहा कि हम भारतीय न्यायपालिका का एक शेर खो रहे हैं। उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा गुरुवार को आयोजित अपने विदाई समारोह में न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन ने कहा कि न्यायपालिका में नियुक्ति में अन्य कारकों के बजाय मेधा सर्वोपरि होनी चाहिए।
गुरुवार दोपहर की रस्मी सुनवाई के लिए निवर्तमान न्यायमू्र्ति नरीमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत के साथ पीठ में मौजूद प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मुझे लगता है कि मैं इस संदर्भ को केवल एक पंक्ति के साथ समाप्त कर सकता हूं। भाई नरीमन की सेवानिवृत्ति के साथ, मुझे लगता है कि मैं न्यायिक संस्था की रक्षा करने वाले शेरों में से एक को खो रहा हूं। जो समकालीन न्यायिक व्यवस्था के मजबूत स्तंभों में से एक हैं। वह सिद्धांत पुरुष हैं और सही के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं। सीजेआई ने कहा कि निजी तौर पर मैं ज्यादा भावुक हूं और शब्दों के जरिए अपने विचार बयां कर पाने में मुझे मुश्किल हो रही है। न्यायमूर्ति रमण उनकी प्रशंसा करते हुए अत्यंत भावुक हो गए और उन्होंने परंपरा से परे जाकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तथा उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन अध्यक्ष विकास सिंह के अलावा सभी इच्छुक वकीलों को सेवानिवृत्त हो रहे अपने सहयोगी के सम्मान में कुछ शब्द कहने की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में भाई न्यायमूर्ति नरीमन के प्रभाव को विस्तार से बताने की कोई आवश्यकता नहीं है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उन्होंने लगभग 13,565 मामलों का निपटारा किया है। 13 अगस्त, 1956 को जन्मे न्यायमूर्ति नरीमन 1993 में वरिष्ठ वकील और 27 जुलाई, 2011 को भारत के सॉलीसिटर जनरल बने। सात जुलाई 2014 को उन्हें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।उच्चतम न्यायालय में उन्होंने सात साल तक सेवाएं दीं।