नई दिल्ली। टीएलआई
सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र में बहुमत सिद्ध करने का फैसला आने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया था। इसी के साथ महाराष्ट्र में शिवसेना के पक्ष में सियासी तस्वीर लगभग साफ हो गई। मुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे 28 नवंबर को शपथ लेंगे।बताया जा रहा है कि मुंबई के शिवाजी पार्क में गुरुवार शाम 6.40 बजे उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। माना जा रहा है कि एनसीपी और कांग्रेस से एक-एक नेता को उपमुख्यमंत्री पद बनाया जाएगा। लेकिन उद्धव के लिए भी एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन कर सरकार चलना आसान नहीं है। क्योंकि न सिर्फ विचारधार को लेकर बल्कि अजीत पवार को लेकर जो सियासी आग लगी है वह अभी बुझी नहीं है।
मंगलवार शाम को हुई शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की बैठक के दौरान उद्धव ठाकरे को नेता चुना गया। इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किया। बुधवार सुबह आठ बजे से नवनिर्वाचित विधायकों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। बताया जा रहा है कि विशेष सत्र के दौरान विधान भवन के प्रवेश द्वार पर अजित पवार और पार्टी विधायक रोहित पवार से एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने मुलाकात की। उधर अजीत के सवाल पर एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहना है कि अजीत पवार ने अपनी गलती स्वीकार की। यह पारिवारिक मामला है और पवार साहब ने उन्हें माफ कर दिया है। पार्टी में उनका कद बहुत बड़ा है और पार्टी में उनकी स्थिति नहीं बदली है। वहीं एनसीपी नेता अजित पवार ने कहना है कि वह अपनी पार्टी में बने रहेंगे और भ्रम पैदा करने की कोई वजह नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है, मैं सही समय आने पर बोलूंगा। कुछ यही अंदाज पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस का भी रहा। फडणवीस ने अजित पवार के साथ सरकार बनाने के सवाल पर कहा कि मैं सही समय पर सही बात कहूंगा, चिंता न करें। वहीं महाराष्ट्र में अजित पवार के साथ सरकार बनाने पर भाजपा में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री एकनाथ खडसे ने महाराष्ट्र में अजित के साथ सरकार बनाने पर असहमति जताई है। उन्होंने कहा कि मेरी निजी राय है कि भाजपा को अजित दादा पवार का समर्थन नहीं करना चाहिए था।