नई दिल्ली। टीएलआई
पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री और बिहार के कद्दावर कांग्रेसी नेता ललित नारायण मिश्र हत्याकांड की 47 साल बाद फिर से जांच होने की संभावना बनती दिख रही है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई से इस मामले की दोबारा से जांच करने पर विचार करने के निर्देश दिया है। न्यायालय ने इसके लिए सीबीआई को 6 सप्ताह का वक्त दिया है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जे. भंभानी की पीठ ने पूर्व रेल मंत्री के पोते वैभव मिश्र की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया है। पीठ ने सीबीआई से वैभव मिश्र के नवंबर 2020 के उस प्रतिवेदन पर 6 सप्ताह के भीतर उचित निर्णय लेने को कहा है, जिसमें उन्होंने इस हत्याकांड की दोबारा से जांच की मांग की है। न्यायालय ने सीबीआई को कानून के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए मामले की दोबारा जांच की जाए या नहीं इस पर समुचित निर्णय लेने और अपने फैसले से याचिकाकर्ता मिश्र को अवगत कराने का निर्देश दिया है। पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की 2 जनवरी 1974 समस्तीपुर रेलवे जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या- 2 पर बम से हमला किया गया था। विस्फोट उस समय किया गया था, जब वह रेलवे लाइन का उद्घाटन करने के लिए पहुंचे थे। हमले के अगले दिन इलाज के दौरान 3 जनवरी 1974 को उनकी मौत हो गई थी। उनके पोते और पेशे से वकील वैभव मिश्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर सीबीआई को ललित नारायण मिश्र हत्याकांड की नए सिरे से जांच करने का आदेश देने की मांग की। मिश्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कृति उप्पल ने पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल के दादा की हत्या एक बहुत बड़े राजनीतिक षडयंत्र के तहत की गई। साथ ही कहा कि तत्कालीन रेल मंत्री की हत्या की जांच के लिए दो आयोग बनाई गईं और इनमें से एक ने अपनी रिपोर्ट में माना भी था की यह एक राजनीतिक साजिश के तहत की गई हत्या थी।