ढाका। यूनुस सरकार की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनका प्रशासन विरोधियों को रास्ते से हटाने के लिए बलपूर्वक गायब करवा रहा था।
मामले में गठित जांच आयोग ने शनिवार देर रात अपनी रिपोर्ट अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को सौंपी। सत्य का खुलासा शीर्षक नाम की इस रिपोर्ट के बाद बयान जारी किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि हसीना सरकार विरोधियों को अज्ञात स्थान पर भेज देती थीं। जहां उनपर अत्याचार किए गए, कई की हत्या भी कर दी गई। जिन लोगों को जबरन उठाया गया, उसमें से 27 फीसदी कभी वापस भी नहीं लौटे। जो लौटे, उनमें से ज्यादातर पर कई मुकदमें लाद दिए गए और उन्हें जेल में रखा गया। आयोग ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उसे ढाका और उसके बाहरी इलाकों में आठ गुप्त हिरासत केंद्र मिले हैं। आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी ने यूनुस को बताया कि जांच के दौरान उन्हें ऐसे व्यवस्थित तरीके की जानकारी मिली, जिसके कारण इन घटनाओं का पता नहीं चल सका। पुलिस की विशिष्ट अपराध-विरोधी रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी ने लोगों को जबरन ले जाने, उन्हें प्रताड़ित करने और हिरासत में रखने की घटनाओं को अंजाम देने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया। आरएबी में सेना, नौसेना, वायु सेना और पुलिस के लोग शामिल होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि अपदस्थ प्रधानमंत्री के रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी केंद्र के पूर्व महानिदेशक और बर्खास्त मेजर जनरल जियाउल अहसन, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोनिरुल इस्लाम एवं मोहम्मद हारुन-ओर-रशीद और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इन घटनाओं में शामिल पाए गए। सेना और पुलिस के ये सभी पूर्व अधिकारी फरार हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वे छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद पांच अगस्त को हसीना की अवामी लीग सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद देश से बाहर से चले गए। आयोग ने कहा कि आतंकवाद रोधी अधिनियम, 2009 को खत्म करने या उसमें व्यापक संशोधन करने के साथ-साथ आरएबी को खत्म किया जाए। मैनुल इस्लाम चौधरी ने यूनुस को बताया कि वह मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट पेश करेंगे तथा सभी आरोपों की जांच पूरी करने के लिए उन्हें कम से कम एक और वर्ष लगेगा। रिपोर्ट में लोगों को गायब किए जाने की घटनाओं को अपराध घोषित करने के लिए एक नया कानून बनाने की मांग की गई है। आयोग में अध्यक्ष के अलावा न्यायमूर्ति फरीद अहमद शिबली, मानवाधिकार कार्यकर्ता नूर खान, निजी बीआरएसी विश्वविद्यालय की शिक्षिका नबीला इदरीस और मानवाधिकार कार्यकर्ता सज्जाद हुसैन भी शामिल हैं। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने आयोग से कहा कि आप बेहद महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। हम आपको हर तरह की सहायता देने को तैयार हैं। यूनुस ने कहा कि वह कुछ संयुक्त पूछताछ कक्षों और गुप्त हिरासत केंद्रों का दौरा करेंगे क्योंकि वह पीड़ितों की पीड़ा के बारे में सीधे उन्हीं से जानकारी लेना चाहते हैं।