इस्लामाबाद।
नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान सरकार ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) के तहत एक बड़ी बिजली परियोजना को रद्द करने का फैसला किया है। सरकार की दलील है कि इस परियोजना की जरूरत नहीं है क्योंकि पर्याप्त बिजली उत्पादन के लिए कई परियोजनाओं पर पहले से काम चल रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के शासनकाल में सीपेक के तहत 1,320 मेगावॉट की रहीम यार खान बिजली परियोजना के निर्माण का खाका तैयार किया गया था। लेकिन इमरान खान सरकार ने चीन को औपचारिक तौर पर यह बता दिया है कि इस परियोजना में उसकी रुचि नहीं है। पाकिस्तान ने अपने सदाबहार मित्र देश चीन से आग्रह किया है कि वह सीपेक की सूची से इस परियोजना को बाहर कर दे। एक अधिकारी ने कहा, संयुक्त समन्वय समिति (जेसीसी) की आठवीं बैठक गत 20 दिसंबर को हुई थी। पाकिस्तान के एक अधिकारी ने बताया कि बिजली उत्पादन की कई परियोजनाओं के ठेके पहले ही दिए जा चुके हैं। नई परियोजना की कोई जरूरत नहीं है। इससे देश की बदहाल आर्थिक स्थिति पर और बोझ बढ़ जाएगा। करीब तीन हजार किमी लंबे सीपेक से पश्चिमी चीन के काशगर को पाकिस्तान में अरब सागर के तट पर स्थित ग्वादर बंदरगाह से जोड़ा जाना है। 60 अरब डॉलर की लागत वाली इस परियोजना पर भारत को आपत्ति है क्योंकि यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरेगा।