हल्द्वानी। अनीता रावत
हाईकोर्ट ने कुमाऊं के लिए पंतनगर यूनिवर्सिटी की भूमि पर न्यू ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट के पूर्व के आदेश के क्रम में भारत सरकार के सचिव विमानन नागरिक उड्डयन मंत्रालय को आज (बुधवार) कोर्ट में पेश होना था, लेकिन कैबिनेट बैठक के कारण वे कोर्ट में पेश नहीं हो सके। कोर्ट ने अब उन्हें आठ दिसंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तलब किया है। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खण्डपीठ में हुई।
इस मामले में बाजपुर (ऊधमसिंह नगर) निवासी केशव कुमार पासी ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि कुमाऊं के लिए प्रस्तावित न्यू ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट को पंतनगर यूनिवर्सिटी परिसर परिक्षेत्र में बनाया जाना प्रस्तावित है। यहां एयरपोर्ट बनने से पंतनगर यूनिवर्सिटी के अस्तित्व को खतरा पैदा होगा। यहां पर एयरपोर्ट बनने से उत्तराखंड के लोगों को एयरपोर्ट पहुंचने में भी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ेगा। प्रस्तावित एयरपोर्ट को यूनिवर्सिटी के बीच में न बनाकर नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों के तलहटी वाले क्षेत्र में सरकार की खाली पड़ी लगभग 76 हजार 800 सौ एकड़ बंजर जमीन में बनाया जाए। विवि के आसपास सिडकुल, स्टेट हाईवे 3, पुराना एयरपोर्ट, पांच नदियां और छह नहरें हैं। अगर यहां प्रस्तावित एयरपोर्ट बनता है तो विश्वविधालय का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। पंतनगर एयरपोर्ट का प्रस्ताव अविभाजित उत्तर प्रदेश ने अपनी सुविधाओं को लेकर 1957 में बनाया था, लेकिन अब उत्तराखंड अलग हो चुका है। इसलिए नए एयरपोर्ट को उत्तराखंड की सुविधाओं के अनुसार बनाया जाना चाहिए। केंद्र के सचिव नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 16 मार्च 2020 को बाजपुर (ऊधमसिंह नगर) के बरहैनी में एयरपोर्ट के लिए प्रस्ताव मांगा था। लेकिन यूएसनगर के जिलाधिकारी ने गुपचुप तरीके से पंतनगर विश्वविद्यालय की भूमि का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया। उन्होंने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा कि इस जगह में आबादी नहीं है। जबकि यहां पर नगला, सिडकुल, विश्वविद्यालय, किच्छा, रुद्रपुर आबादी वाले क्षेत्र हैं। अगर एयरपोर्ट प्रस्तावित क्षेत्र में बनाया जाता है तो आम लोगों को पुराने एयरपोर्ट से 14 किलोमीटर और दूर जाना पड़ेगा।