मिनियापोलिस। संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होनेवाले लोगों में सालों बाद हृदयाघात का खतरा रहता है। त्वचा और यूरिनरी इंफेक्शन जैसे सामान्य संक्रमण वाले लोगों में भी ऐसा हो सकता है। मिनेसोटा विश्वविद्यालय और मेयो क्लिनिक द्वारा किए गए संयुक्त शोध में यह दावा किया गया है। शोधकर्ताओं ने दो दशकों में 14 हजार से अधिक लोगों पर किए अध्ययन के बाद यह दावा किया है। यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि संक्रमण और हृदयाघात के बीच संबंध इतना मजबूत है कि लोगों को ध्यान देना चाहिए और संक्रमण को कम करने का प्रयास करना चाहिए। महामारी विज्ञानी और अध्ययन का नेतृत्व करनेवाले रयान डेमर ने कहा कि संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया हृदय गति रुकने के खतरे का एक बड़ा हिस्सा है। वास्तव में गंभीर संक्रमण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इस तरह से चालू कर देते हैं कि यह पूरी तरह से बंद नहीं होता है। यह संभवतः कई वर्षों तक सक्रिय रहती है। संभावना यह भी है कि गंभीर संक्रमण आनुवंशिक या जैविक परिवर्तन का कारण बनते हैं जो अस्पताल में भर्ती होने के बाद निष्क्रिय हो जाते हैं लेकिन बाद में जीवन में उभर कर हृदय गति रुकने का कारण बनते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के नेशनल हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टीट्यूट में कार्डियोवैस्कुलर साइंसेज के डिप्टी ब्रांच चीफ सीन कोडी ने कहा कि यह निष्कर्ष ऐसा है जिसपर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए। हृदयाघात, हृदय का कमजोर होना है जो इसे पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन पंप करने से रोकता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि अस्पताल में भर्ती होने से जीवन में बाद में स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। डेमर ने कहा कि यह संभव है कि संक्रमण लोगों को उन अस्पताल यात्राओं से अभी तक अज्ञात जोखिमों की ओर ले जा रहा हो। लोगों को टीकों और अच्छी स्वच्छता के माध्यम से संक्रमण को रोकने के लिए जागरूक होना चाहिए। जो लोग पहले से ही संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं, वे हृदय संबंधी जोखिमों को कम करने के तरीकों के बारे में अपने डॉक्टरों से बात कर सकते हैं। हार्ट फेल भारत सहित पूरी दुनिया के लिए बड़ी समस्या है। दुनियाभर में 5 करोड़ से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में 13 लाख से 2 करोड़ लोग इससे प्रभावित होते हैं। हर साल 18 लाख लोग हृदय की विफलता से जूझते हैं। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष एथेरोस्क्लेरोसिस रिस्क इन कम्युनिटीज नामक निगरानी कार्यक्रम के तहत निकाला है। इस कार्यक्रम के तहत 1980 के दशक के अंत में मिनियापोलिस क्षेत्र और तीन अन्य अमेरिकी क्षेत्रों 54 वर्ष की आयु के हजारों लोगों को नामांकित किया गया था। शोधकर्ताओं ने दो से तीन दशक बाद उनका अनुसरण किया ताकि यह देखा जा सके कि उनके स्वास्थ्य में किस तरह का बदलाव आया है। तीन दशकों के दौरान, निगरानी कार्यक्रम में शामिल लगभग चार में से एक व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने की समस्या हुई। इसमें संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों में जोखिम दोगुने से भी अधिक था। रक्तप्रवाह और श्वसन संक्रमण वाले लोगों में जोखिम सबसे अधिक थे। पाचन संक्रमण का जीवन में बाद में दिल का दौरा पड़ने से केवल कमजोर संबंध था।