नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
पश्चिमी सभ्यता से आ रहे समाज में बदलाव चिंताजनक है। आज सम्मान और गरिमा की कमी दिखाई देने लगी है। लोगों को बड़ों का सम्मान करना चाहिए और गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। यह नसीहत काशी सुमेरुपीठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद स्वामी रविवार को मध्यप्रदेश के हटा में दी। उन्होंने भारतीय सनातन परंपरा को परिभाषित करते हुए कहा कि जहां संतों और बड़ों का आदर और सम्मान होता है तथा उनकी गरिमा का ख्याल रखा जाता है वहीं लक्ष्मी का वाश होता है।
मध्यप्रदेश के हटा में आयोजित सहस्त्र चंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर काशी सुमेरू पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। उन्होंने चंडी महायज्ञ की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के दौर में महायज्ञ की जरूरत पहले से अधिक है। उन्होंने स्वार्थ से ऊपर उठकर श्रीराम में निष्ठा रखने पर जोर दिया। शंकराचार्य ने कहा कि सभी को भगवान श्रीराम के बारे में चिंतन मनन करना चाहिए, क्योंकि इस पूरे जगत में उन्हीं की सत्ता मौजूद है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में अलगाववाद और नकारात्मक प्रवृतियां प्रबल हो रही हैं। समाज में बैर भाव बढ़ रहा है। इस चंडी महायज्ञ का उद्देश्य भी समाज में फैल रहे बैर भाव को मिटाना है। अयोध्या में बनने वाले श्रीराम मंदिर को लेकर श्ंाकराचार्य ने कहा कि लोगों के मन से बैर भाव मिटे और मंदिर का मार्ग प्रशस्त हो इसकी आज बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि उपासना के उस पद्धति को बढ़ावा देने की जरूरत है जिससे मन को शांति मिल न की दंगा हो। दंगा को बढ़ावा देने वाली पद्धति पर सरकार को रोक लगानी चाहिए। इससे पहले शंकराचार्य ने चंडी महायज्ञ में सहस्त्र चंडी महायज्ञ धार्मिक अनुष्ठान को पूरा कराया।