नई दिल्ली। टाटा समूह के मानद चेयरमैन रहे रतन टाटा ने 2020 में ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ इंटरव्यू में अपने बचपन, माता-पिता के तलाक और होनेवाली शादी के बारे में खुलकर बात की थी। रतन टाटा ने 1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, इथाका, न्यूयॉर्क से आर्किटेक्चर में बी.एस की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी पारिवारिक कंपनी को ज्वॉइन किया। एक दशक बाद 1991 में वे टाटा इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बने। अपने चाचा जेआरडी टाटा से टाटा समूह के चेयरमैन का पद संभाला। जेआरडी टाटा आधी सदी से भी ज्यादा समय से इस पद पर थे। 2020 में ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ एक साक्षात्कार में रतन टाटा ने कहा था कि मेरा बचपन खुशहाल था, लेकिन जैसे-जैसे मैं और मेरे भाई बड़े होते गए, हमें अपने माता-पिता के तलाक की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन दिनों तलाक आज की तरह आम नहीं था। लेकिन मेरी दादी ने हमें हर तरह से पाला। इसके तुरंत बाद जब मेरी मां ने दोबारा शादी की, तो स्कूल के लड़के हमारे बारे में तरह-तरह की बातें करने लगे। लेकिन हमारी दादी ने हमें हर कीमत पर गरिमा बनाए रखना सिखाया, एक ऐसा मूल्य जो आज तक मेरे साथ है। रतन टाटा ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को बताया था कि आर्किटेक्चर में डिग्री लेने के बाद वे लॉस एंजिल्स में एक आर्किटेक्चर फर्म में चले गए और यहीं पर उन्हें प्यार हुआ और वे लगभग शादी करने वाले थे। उन्होंने कहा था कि कॉलेज के बाद, मुझे लॉस एंजिल्स में एक आर्किटेक्चर फर्म में नौकरी मिल गई, वहां मैंने दो साल तक काम किया। यह एक शानदार समय था, मौसम बहुत अच्छा था, मेरे पास अपनी कार थी और मुझे अपनी नौकरी बहुत पसंद थी। लास एंजिल्स में ही मुझे प्यार हुआ और मैं लगभग शादी करने वाला था। लेकिन उसी समय मैंने अस्थायी वापस जाने का फैसला किया था क्योंकि मैं अपनी दादी से लगभग 7 साल से दूर था। उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। इसलिए मैं उनसे मिलने वापस आया और सोचा कि जिससे मैं शादी करना चाहता हूं, वह मेरे साथ भारत आएगी, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण उसके माता-पिता तैयार नहीं थे, और रिश्ता टूट गया।