येरेवान।
अर्मेनिया में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संपर्क बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए बुधवार को ईरान में रणनीतिक महत्व के चाबहार बंदरगाह को उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा में शामिल करने का प्रस्ताव दिया। अर्मेनिया के अपने समकक्ष ए. मिरजोयान के साथ हुई बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने यह बात कही। जयशंकर मध्य एशिया के तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में मंगलवार को अर्मेनिया पहुंचे। भारत के किसी विदेश मंत्री की यह पहली अर्मेनिया यात्रा है।
जयशंकर ने कहा, भारत और अर्मेनिया दोनों देश अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएससटीसी) के सदस्य हैं। यह संपर्क में आने वाली बाधाओं को खत्म कर सकता है। इसलिए मंत्री मिरजोयान और मैंने ईरान में विकसित किए जा रहे चाबहार बंदरगाह में अर्मेनिया की रुचि पर चर्चा की। उन्होंने कहा, हमने प्रस्ताव किया कि चाबहार बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा में विकसित किया जाए, हम चाबहार बंदरगाह के उपयोग और क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने वाली किसी भी अन्य कोशिश का स्वागत करते हैं।
चाबहार बंदरगाह विकसित करने में भारत की रुचि के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, हम रुचि रख रहे हैं क्योंकि यदि हम ईरान में और भी बंदरगाह विकसित करते हैं तो उनसे ईरान के उत्तर की ओर संपर्क व्यापार के और अधिक मार्ग खुलेंगे। जो भूमि से होकर गुजरेंगे और वह इन समुद्री मार्गों की तुलना में कहीं अधिक कारगर होंगे। उन्होंने कहा, मैंने मंत्री के साथ चाबहार का जिक्र किया क्योंकि यह ईरान में एक ऐसा बंदरगाह है, जिसे भारत विकसित कर रहा है और हमारे लिए यह कॉकेशस (यूरोप और एशिया के बीचों बीच) से कम से कम एक ओर जाने का मार्ग खोलता है जो मध्य एशिया जाता है। जयशंकर ने कहा, हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट और अन्य मंचों के लिए हमारी उम्मीदवारी का समर्थन करने को लेकर अर्मेनिया के आभारी हैं।
भारत के पश्चिमी तट से ईरान के संसाधन संपन्न सिस्तान-बलोचिस्तान प्रांत के दक्षिणी तट पर स्थित चाबहार बंदरगाह तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का मुकाबला करने वाला माना जा रहा है, जो चाबहार से करीब 80 किमी दूर है। चाबहार के पहले चरण का काम 2017 में राष्ट्रपति हसन रूहानी ने किया था। जिसने ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच रणनीतिक महत्व का एक नया मार्ग खोल दिया, जो पाकिस्तान से होकर नहीं गुजरता है। चाबहार बंदरगाह को भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा व्यापार के लिए स्वर्णिम अवसरों का एक द्वार माना जा रहा है।
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