श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सोमवार को 10 साल बाद विधानसभा सत्र शुरू हुआ। सत्र के पहले दिन ही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के पेश प्रस्ताव पर तल्खी दिख गई और सदन में खूब हंगामा हुआ। दरअसल, पीडीपी के विधायक वहीद पारा ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया और पूर्ववर्ती राज्य को मिला विशेष दर्जा फिर से बहाल करने का आह्वान किया। इस पर भाजपा के विधायकों ने अपने स्थानों पर खड़े हो कर विरोध जताते हुए हंगामा करने लगे। हालांकि, इस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) ने पीडीपी के विधायक पारा की निंदा की।
पुलवामा से विधायक पारा ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, जम्मू कश्मीर के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह सदन (जम्मू-कश्मीर का) विशेष दर्जा समाप्त किए जाने का विरोध करता है। इस पर भाजपा के सभी 28 विधायकों ने खड़े होकर विरोध जताने लगे। भाजपा विधायक श्याम लाल शर्मा ने पारा पर विधानसभा नियमों का उल्लंघन कर प्रस्ताव लाने का आरोप लगाया और इसके लिए उन्हें निलंबित करने की मांग की। राथर ने विरोध कर रहे सदस्यों से बार-बार अपनी सीट पर जाने का अनुरोध किया। भाजपा सदस्यों के नहीं मानने पर नेकां विधायकों ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए नाराजगी जाहिर की। मुख्यमंत्री और सदन के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, हमें मालूम था कि एक सदस्य प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन हमने सोचा कि ऐसा विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव, उपराज्यपाल के अभिभाषण और श्रद्धांजलि के बाद होगा। हम इस पर तुरंत काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, यह विधानसभा जम्मू कश्मीर के लोगों की भावनाओं को दर्शाती है। सच्चाई यह है कि लोगों ने पांच अगस्त, 2019 के फैसले को मान्यता नहीं दी है। अगर ऐसा होता तो नतीजे अलग होते। वहीं एक पोस्ट में नेकां ने कहा कि पुलवामा से पीडीपी विधायक पारा का यह कदम इस मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रस्ताव को दरकिनार करने के उद्देश्य से उठाया गया है। नेकां ने कहा, यह पीडीपी विधायक द्वारा किया गया एक बहुत ही चतुराईपूर्ण प्रयास था, जिसका स्पष्ट उद्देश्य प्रस्ताव पेश करने के सरकार के कदम को विफल करना था।