काठमांडू। नेपाल की राजनीति में सियासी उथल-पुथल जारी है। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने सोमवार को शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस से गठबंधन तोड़ दिया। इसके बाद प्रचंड सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली नीत कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के साथ गठबंधन कर मंत्रिमंडल में फेरबदल किया। प्रतिनिधि सभा में नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन मतभेदों के कारण प्रचंड सरकार से लगभग 15 महीने की साझेदारी खत्म हो गई। राष्ट्रपति भवन ‘शीतल निवास’ में आयोजित शपथ समारोह के दौरान सीपीएन-यूएमएल से पदम गिरी, सीपीएन (माओवादी केंद्र) से हित बहादुर तमांग और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) से डोल प्रसाद अर्याल ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। हालांकि, नवनियुक्त मंत्रियों को विभाग नहीं सौंपे गए हैं। नेपाल की संसद में अभी सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन (माओवादी केंद्र), आरएसपी और जेएसपी की कुल सीट 142 है। यह 275 सदस्यीय सदन में न्यूनतम आवश्यक 138 सीट से अधिक है। ऐसे में प्रचंड की सरकार गिरने का खतरा टल गया। वहीं प्रचंड ने सीपीएन-यूएमएल से हाथ मिलाने का फैसला किया, लेकिन ओली को प्रचंड का आलोचक माना जाता है। सीपीएन (माओवादी केंद्र) के सचिव गणेश शाह ने कहा कि प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन (माओवादी केंद्र) और शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस के बीच गठबंधन समाप्त हो गया है, क्योंकि दोनों शीर्ष नेताओं के बीच मतभेद काफी गहरा गए हैं। वहीं बजट आवंटन के मुद्दे पर भी दोनों दलों के बीच दरार बढ़ गई थी। साथ ही नेपाली कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के साथ सहयोग नहीं किया, इसलिए नए गठबंधन की तलाश करने के लिए मजबूर हुए। बता दें, प्रचंड 25 दिसंबर, 2022 को नेपाली कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे। पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव के लिए मुख्य विपक्षी दल के उम्मीदवार को समर्थन देने पर मतभेद के बाद सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।