देहरादून, करन उप्रेती। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर जून 2025 से ट्रैक बिछाने का कार्य शुरू होगा। 125 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पर करीब 750 करोड़ रुपये की लागत से ट्रैक बिछेगा। ट्रैक बिछाने का काम भारतीय रेलवे की उपक्रम कंपनी इरकॉन इंटरनेशनल करेगी। रेल विकास निगम ने 2027 तक ट्रैक बिछाने के कार्य का समय निर्धारित किया है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना का 75 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। 2025 के अंत तक सभी सुरंगों का खुदान पूरा होने की उम्मीद है। 125 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का 104 किलोमीटर हिस्सा सुरंग से होकर गुजरेगा। शेष 21 किलोमीटर में पुल और रेलवे स्टेशन होंगे। रेलवे लाइन का 84 फीसदी हिस्सा सुरंग के अंदर से गुजरेगा। रेल लाइन पर 16 मुख्य और 12 सहायक सुरंगें बनाई जाएंगी। सात सहायक सुरंगें ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे से जोड़ी जा रही हैं। जो आपातकाल में निकासी का कार्य करेंगी। कुल 16 पुलों में से तीन पुल बन चुके हैं, जबकि 13 पुलों का 75 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा कर लिया गया है। भारतीय रेलवे के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल ने ऋषिकेश में अपना ऑफिस खोल दिया है, जिसमें ट्रैक एवं रेल लाइन का सामान रखा जाएगा। रेल निगम नई ब्लास्ट-लेस तकनीक पर आधारित पटरियां बिछाने का काम शुरू करने जा रहा है, जो कि पूरी तरह आरसीसी स्लैब पर आधारित हैं। इस प्रकार का रेलवे ट्रैक यूरोप, चीन और जापान में हाई स्पीड रेल नेटवर्क में उपयोग किया जाता है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में पटरियां बिछाने का काम तीन कंपनियों को दिया गया है। भारतीय रेलवे के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल के साथ ही दो अन्य कंपनी पारस और पीसीएम कंपनी ट्रैक बिछाने का काम करेंगी। ट्रैक डिजाइनिंग का काम शुरू कर दिया गया है। जिसके बाद चरणबद्ध तरीके से हर फेस में कंपनियां हाई स्पीड ट्रैक बिछाएंगी। 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बिछाने में लगभग दो साल का समय लगेगा। एक माह में करीब पांच किलोमीटर लाइन बिछेगी। जिस पर छह करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर खर्च आएगा। ऋषिकेश से शिवपुरी की 17 किलोमीटर की दूरी पर सबसे पहले ट्रैक बिछाने का काम होगा, जिसमें लगभग तीन माह का समय लगेगा। इस दूरी पर सुरंग समेत सभी कार्य पूरे हो गए हैं, जबकि शिवपुरी से व्यासी के बीच 13 किलोमीटर की दूरी पर सुंरग समेत स्टेशन बनाने का काम हो रहा है।