दक्षिण कोरिया में राजनीतिक संकट गहराया

अंतरराष्ट्रीय

सियोल। दक्षिण कोरिया में दिनों दिन राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। राष्ट्रपति के बाद अब कार्यवाहक राष्ट्रपति के खिलाफ भी महाभियोग चलाया जाएगा। विपक्षी दलों के नियंत्रण वाली संसद ने कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू के खिलाफ शुक्रवार को महाभियोग चलाने के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों ने प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया।
कार्यवाहक राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव से देश में राजनीतिक संकट और गहरा गया है। यह राष्ट्रपति यून सुक येओल द्वारा मार्शल लॉ लागू करने और उसके बाद उनके खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव पारित करने के फैसले से उत्पन्न हुआ। संसद ने शुक्रवार महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्रस्ताव के पक्ष में 192 मत पड़े, जबकि विरोध में कोई मत नहीं पड़ा, क्योंकि सत्तारूढ़ पीपुल पावर पार्टी (पीपीपी) के सांसदों ने मतदान का बहिष्कार किया था। पीपीपी के सांसद इस दौरान नेशनल असेंबली के अध्यक्ष वू वोन शिक के आसन के चारों ओर इकट्ठा हो गए और जोर जोर से ‘वोट अमान्य है’ के नारे लगाने लगे। उन्होंने वू के इस्तीफे की मांग की। हालांकि इस घटना में किसी भी तरह की हिंसा या किसी को चोट पहुंचने की सूचना नहीं है। बता दें कि तीन दिसंबर को मार्शल लॉ लागू करने के कारण यून पर लगभग दो सप्ताह पहले नेशनल असेंबली द्वारा महाभियोग चलाने का प्रस्ताव लाया गया था, जिसके बाद हान कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। हान के महाभियोग का मतलब है कि उन्हें बर्खास्त किया जाए या बहाल किया जाए, इस बारे में संवैधानिक न्यायालय द्वारा निर्णय लिए जाने तक उनसे राष्ट्रपति की शक्तियां और कर्तव्य छीन लिए जाएंगे। न्यायालय पहले से ही इस बात की समीक्षा कर रहा है कि यून के पिछले महाभियोग को बरकरार रखा जाए या नहीं। हान की शक्तियां आधिकारिक तौर पर तब निलंबित कर दी जाएंगी जब उनके महाभियोग दस्तावेज की प्रतियां उन्हें और संवैधानिक न्यायालय को सौंप दी जाएंगी। इसके बाद उप प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री चोई सांग-मोक कार्यवाहक कार्यभार संभालेंगे। दक्षिण कोरिया की जांच एजेंसियां ​​इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या यून ने मार्शल लॉ का आदेश देकर विद्रोह को भड़काया और सत्ता का दुरुपयोग किया है। इस संबंध में उनके रक्षा मंत्री, पुलिस प्रमुख और कई अन्य वरिष्ठ सैन्य कमांडरों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। देश के शीर्ष दो अधिकारियों के महाभियोग से राजनीतिक उथल-पुथल और बढ़ गई है, इसकी आर्थिक अनिश्चितता और गहरी हो गई है और इसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा है।

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