जालंधर। प्रधानमंत्री ने कॉलेजों और राज्य विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का आह्वान आह्वान करते हुए ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान का नारा दिया है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री नारे ‘जय जवान, जय किसान’ और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नारे ‘जय विज्ञान’ में ‘जय अनुसंधान’ जोड़ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपनी अनुसंधान एवं विकास उपलब्धियों के व्यावसायीकरण के लिए औद्योगिक उत्पादों के जरिए एक सशक्त योजना की आवश्यकता है।
जालंधर में आयोजित 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में भविष्य का भारत : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों का जीवन और कार्य प्रौद्योगिकी विकास तथा राष्ट्र निर्माण के साथ गहरी मौलिक अंतर्दृष्टि के एकीकरण का शानदार उदाहरण है। मोदी ने कहा कि ‘नवोन्मेष’ और ‘स्टार्ट अप्स’ पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ‘आज का नया नारा है- जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान। मैं इसमें जय अनुसंधान जोड़ना चाहूंगा।’ उन्होंने कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान केवल अनुसंधान पर आधारित रहा है और भारतीयों ने गणित, विज्ञान, संस्कृति और कला में अपने योगदान के जरिए विश्व को नई दिशा दिखाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में खासकर, किसानों की मदद के लिए बड़े डाटा विश्लेषण, कृत्रिम मेधा, ब्लॉक शृंखला प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘भारतीय विज्ञान के लिए 2018 एक अच्छा वर्ष रहा। इस साल हमारी उपलब्धियों में उड्डयन श्रेणी के जैव ईंधन का उत्पादन, दृष्टिबाधितों के पढ़ने में मदद करने वाली मशीन- दिव्य नयन, सर्वाइकल कैंसर, टीबी, डेंगू के निदान के लिए किफायती उपकरणों का निर्माण और भूस्खलन के संबंध में सही समय पर चेतावनी प्रणाली जैसी चीजें शामिल हैं।’