लंदन। ब्रिटेन में धूम्रपान पर प्रतिबंध के लिए संसद में विधेयक पेश किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इसके लिए सख्त मोर्चा संभाल लिया है।
ब्रिटेन में धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाने के लिए संसद में विधेयक भी पेश किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, धूम्रपान के प्रतिबंध से 13.7 अरब डॉलर की बचत संभव हो सकेगी और धूम्रपान कैंसर से होने वाली हर मौतों पर लगाई लगाई जा सकेगी। ब्रिटेन की तरह दुनिया के कई देश तंबाकू के उपयोग और ई-सिगरेट पर तेजी से सख्ती कर रहे हैं। इसमें ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस की सरकार ने योजना बनाई है। इस प्रस्तावित नीति से 14-30 आयु वर्ग के लोगों के बीच धूम्रपान की दर 2030 तक 13 फीसदी से घटाकर आठ प्रतिशत करने की योजना है। वहीं 2040 तक इस आयु वर्ग के केवल 5 प्रतिशत लोग ही धूम्रपान करेंगे। यह भी दावा किया गया कि वर्ष 2075 तक इस नीति से धूम्रपान से संबंधित बीमारियों को रोककर ब्रिटेन में हर साल जान गंवाने वाले 64 हजार नागरिकों की जान बच सकेगी। ब्रिटेन के प्रस्ताव में बताया गया कि 2009 या उसके बाद पैदा हुआ कोई भी व्यक्ति तंबाकू की बिक्री नहीं कर सकेगा। इससे 15 वर्ष या उससे कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को देश में कानूनी रूप से सिगरेट खरीदने से रोका जा सकेगा। सरकार को उम्मीद है कि यह रणनीति 2040 तक कारगर साबित होगी। ब्रिटेन की राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अनुसार, इंग्लैंड में किशोरों में धूम्रपान की दर ऊंची बनी हुई है। यहां 16 से 17 साल के 12 फीसदी से अधिक बच्चे स्मोकिंग को महत्व देते हैं। हालांकि, पिछले दशक में सिगरेट पीने वाले 11 से 17 साल के बच्चों की संख्या में कमी आई है, लेकिन इस आयु वर्ग में वेपिंग की लोकप्रियता बढ़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया की एक चौथाई से अधिक आबादी सार्वजनिक स्थानों, कार्यस्थलों और सार्वजनिक परिवहन में धूम्रपान पर पूर्ण प्रतिबंध के दायरे में है। 2007 में केवल 10 देशों में “धूम्रपान-मुक्त नीतियां” थीं।अभी यह संख्या बढ़कर 74 हो गई है। इसमें भारत देश भी शामिल है। आयरलैंड दुनिया का पहला देश था, जिसने 2004 में रेस्तरां और बार सहित सभी इनडोर कार्यस्थलों में धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा दिया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पिछले साल नवंबर में जारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल तंबाकू के सेवन से 80 लाख से अधिक लोग मरते हैं। वहीं हर साल 8 मिलियन से अधिक लोग समय से पहले मर जाते हैं। इनमें से 7 मिलियन से अधिक मौतें प्रत्यक्ष तम्बाकू सेवन के कारण होती हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत में लगभग 27 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं जिससे हर साल 13.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है। यानी हर दिन 3699 लोगों की मौत भारत में तंबाकू सेवन से हो जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, तंबाकू से होने वाली बीमारियों और समय से पहले मौतों से भारत को अपनी जीडीपी का 1 फीसदी से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ता है।