नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान ‘पीएम-गतिशक्ति’ की बुधवार को शुरुआत की। सरकार के मुताबिक इस योजना का मकसद लॉजिस्टिक्स की लागत घटाना और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास करना है। पीएम ने कहा कि 21वीं सदी का भारत पुरानी प्रणालियों और तौर-तरीकों को पीछे छोड़ रहा है। आज का मंत्र है-प्रगति के लिए कार्य, प्रगति के लिए संपत्ति, प्रगति की योजना, प्रगति को प्राथमिकता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले के वर्षों में विकास कार्यों में सुस्ती के साथ करदाताओं के पैसों का सही इस्तेमाल नहीं किया जाता था। विभाग अलग-अलग काम करते थे। परियोजनाओं को लेकर उनमें कोई समन्वय नहीं था। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के बिना विकास संभव नहीं है। सरकार ने अब इसे समग्र रूप से विकसित करने का संकल्प लिया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने प्रगति मैदान में नए प्रदर्शनी परिसर का भी उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प के साथ अगले 25 वर्षों के लिए भारत की नींव रखी जा रही है। भारत के लोग, भारतीय उद्योग, भारतीय व्यवसाय, भारतीय विनिर्माता, भारतीय किसान गतिशक्ति के इस महाअभियान के केंद्र में हैं। मोदी के मुताबिक पीएम-गतिशक्ति योजना समग्र शासन का विस्तार है। इसका लक्ष्य लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी के साथ कार्गो हैंडलिंग क्षमता बढ़ाना और कार्यान्वयन को तेज करना है। साथ ही सभी संबंधित विभागों को एक मंच पर जोड़कर परियोजनाओं को अधिक शक्ति और गति देना है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को एक समान दृष्टि से तैयार कर उनका कार्यान्वयन किया जाएगा। इससे अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद मिलेगी। मोदी ने बताया कि गतिशक्ति मास्टर प्लान सड़क से लेकर रेलवे और उड्डयन से लेकर कृषि तक परियोजनाओं के समन्वित विकास के लिए विभिन्न विभागों को आपस में जोड़ता है। मौजूदा समय में देश में लॉजिस्टिक्स की ऊंची लागत (जीडीपी का 13 फीसदी हिस्सा) से निर्यात में प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो रही है। पीएम-गतिशक्ति से भारत को एक निवेश गंतव्य के रूप में बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री के मुताबिक उनकी सरकार के तहत भारत जिस गति और पैमाने को देख रहा है, वह आजादी के पिछले 70 वर्षों में कभी नहीं देखा गया था। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहली अंतर-राज्यीय प्राकृतिक गैस पाइपलाइन 1987 में शुरू की गई थी। तब से 2014 तक 15000 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का निर्माण हुआ। इस समय 16000 किलोमीटर से अधिक नई गैस पाइपलाइन का निर्माण किया जा रहा है। 27 साल में जो किया गया, हम वह काम उससे आधे से भी कम समय में कर रहे।