नई दिल्ली। भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर फिर से गश्त शुरू होने पर सहमति बन गई है। दोनों देश पिछले कई हफ्तों से चल रही बातचीत के बाद एक समझौते पर पहुंच गए हैं। सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसका ऐलान किया। इससे दोनों देशों के बीच एलएसी पर तनाव खत्म होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। मिस्री ने कहा कि समझौते के अनुसार आगे कदम उठाए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रूस रवाना होने से ठीक एक दिन पहले भारत के इस ऐलान को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे यह भी अटकलें तेज हो गई है कि 22-23 अक्तूबर को ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक हो सकती है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने द्विपक्षीय बैठक को लेकर सिर्फ इतना कहा कि कई ब्रिक्स सदस्य देशों के साथ बैठकें हो सकती हैं। इसकी प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। लेकिन सूत्रों का यह मानना है कि एलएसी से जुड़े समझौते के जरिये मोदी-जिनपिंग बैठक की जमीन तैयार कर ली गई है। मिस्री ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पिछले कई हफ्तों से भारतीय और चीनी राजनयिक और सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के साथ नजदीकी संपर्क में हैं। इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर सहमति बन गई है। इससे 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले सभी मुद्दों का समाधान हो सकेगा जिनमें दोनों देशों की सेनाओं का शेष स्थानों से पीछे हटना भी शामिल है। बता दें कि एलएसी पर कुल सात बिंदुओं पर तनाव उत्पन्न हुआ था जिनमें से पांच बिंदुओं-पेंगोग लेक उत्तर, पेंगोग लेक दक्षिण, गलवान, हॉट स्प्रिंग एवं गोगरा से सेनाएं पहले ही हट चुकी हैं। जबकि दो स्थानों डेप्सांग और डेमचौक में अभी स्थिति यथावत है। विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि इस समझौते के बाद डेप्सांग और डेमचौक से भी सेनाओं के पीछे हटने का रास्ता साफ हो जाएगा। विदेश सचिव ने हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं किया कि गश्त की व्यवस्था जून 2020 से पहले की भांति होगी या फिर कोई नई व्यवस्था तय की गई है। हालांकि भारत शुरू से जून 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने की मांग कर रहा है। लेकिन गश्त को लेकर ज्यादा संभावना इस बात की है कि कोई नई व्यवस्था तय हुई है। दरअसल, अभी गश्त वाले क्षेत्र को बफर जोन घोषित कर रखा गया है जहां दोनों में से किसी देश की गश्त को अनुमति नहीं है। पेंगोग इलाके में एलएसी पर सेना और आईटीबीपी फिंगर 8 तक गश्त करती थी। जबकि चीन की सेना फिंगर 4 तक गश्त करती थी। लेकिन जून 2020 के टकराव के बाद यह गश्त बंद कर दी गई। भारती सेना फिंगर 3 से पीछे है। जबकि चीन की सेना फिंगर 8 के पीछे है। इस बीच का इलाका खाली है जिसे बफर जोन घोषित किया गया है। यहां अभी कोई गश्त नहीं होती है। एलएसी पर हालांकि पिछड़े साढ़े चार साल से तनाव की स्थिति बनी हुई है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जिनपिंग के बीच 2022 में बाली में जी-20 सम्मेलन तथा उसके बाद पिछले साल जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई दो मुलाकातों में बर्फ काफी पिघली है। इसलिए अब इस ताजा प्रगति को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो कजान में दोनों देशों के बीच बैठक हो सकती है और उसके बाद एलएसी को लेकर समझौते का ऐलान किया जा सकता है। दरअसल, चीन अपने व्यावसायिक हितों के मद्देनजर भारत से अच्छे संबंध बनाना चाहता है। जबकि भारत की शीर्ष प्राथमिकता में एलएसी है क्योंकि देश में विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश करता है। सूत्रों की मानें तो रूस भी लगातार भारत एवं चीन के संबंधों में सुधार के लिए कूटनीतिक पहल कर रहा है। मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों में भारत, रूस और चीन एक मजबूत ध्रुव तैयार करते हैं।