देहरादून। उत्तराखंड में निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने निकायों में ओबीसी आरक्षण के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इस अध्यादेश की मंजूरी के साथ ही निकायों में ओबीसी आरक्षण की 14 प्रतिशत की सीलिंग खत्म हो गई। अब सरकार आबादी के अनुसार ओबीसी के लिए निकायवार आरक्षण तय कर सकती है। सूत्रों के अनुसार जल्द सरकार आरक्षण का प्रारूप जारी कर आपत्तियां आमंत्रित करेगी।
आरक्षण के लिए गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की सिफारिशों के अनुसार ओबीसी की आबादी के आधार पर प्रदेश के 11 नगर निगम में से दो, 45 नगर पालिकाओं में से 13 और 46 नगर पंचायतें में से 15 ओबीसी के लिए आरक्षित हो सकते हैं। अध्यादेश को मंजूरी देने के लिए शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्यपाल का आभार जताया। उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकार निकाय चुनाव को जल्द कराने की दिशा में आगे बढ़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी को स्थानीय निकायों में आरक्षण के लिए व्यवस्था तय की है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, आरक्षण का खाका तय करने के लिए सरकार ने एकल सदस्यीय समर्पित आयोग का गठन किया था। इसके आधार पर सरकार मानसून सत्र में इसका विधेयक लेकर आई थी। सदन में सहमति न बन पाने की वजह से विधेयक को प्रवर समिति को सौंप दिया गया। निकाय चुनाव के लिए बढ़ते दबाव के चलते सरकार अध्यादेश लेकर आई। अध्यादेश की मंजूरी के बाद आरक्षण का खाका तय करने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। नियमानुसार जिला स्तर पर डीएम निकायों में वार्ड की अनंतिम आरक्षण लिस्ट जारी करेंगे। जबकि निदेशालय स्तर से मेयर और नगर पालिका अध्यक्षों का आरक्षण का प्रारंभिक खाका जारी होगा। इन पर आपत्तियां ली जाएंगी। आपत्तियों के आधार पर आरक्षण में संशोधन किया जा सकता है।