लाहौर। पाकिस्तान में आम चुनाव के बाद भी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद इमरान समर्थित तीन और निर्दलीय विजेताओं ने पाला बदल लिया। तीनों ने इस्तेकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी (आईपीपी) में शामिल होने का ऐलान कर दिया है।
आईपीपी के प्रमुख संरक्षक जहांगीर खान तारीन के इस्तीफे के बाद अलीम ही पार्टी का कामकाज संभाल रहे हैं। यह पार्टी नौ मई को हुई हिंसा के बाद इमरान खान की पीटीआई से अलग होकर बनी थी। अलीम कथित तौर पर सेना की मदद से पंजाब में अपनी संख्या बढ़ाने के लिए पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रांतीय विधानसभा में निर्वाचित पीटीआई समर्थित तीन सदस्यों – सरदार अवैस द्रशिक, जाहिद इस्माइल भट्टा और हाफिज ताहिर कैसरानी तथा एक अन्य निर्दलीय सदस्य गजनफार अब्बास चीना ने लाहौर में अलीम से मुलाकात की और आईपीपी में शामिल होने की घोषणा की। अलीम ने दावा किया कि प्रांतीय विधानसभा में पीटीआई द्वारा समर्थित 10 से 15 सदस्यों का एक अन्य समूह जल्द ही आईपीपी में शामिल होगा और वह उनके संपर्क में है। सिंध में पीटीआई समर्थित चौथा सदस्य एजाज स्वाति, बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) में शामिल हो गया है। अभी तक, पांच निर्वाचित सदस्य इमरान खान की पार्टी छोड़ चुके हैं । केंद्र तथा पंजाब दोनों में पीएमएल-एन की स्थिति को मजबूत करने के लिए और सदस्यों को पार्टी में शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उधर पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में एक निर्वाचन क्षेत्र में पुन: मतगणना के दौरान दो राजनीतिक दलों के समर्थकों के बीच सशस्त्र झड़प में कम से कम दो लोगों की मौत हो गयी और 14 अन्य घायल हो गए। ,कराची की सीमा से लगते औद्योगिकी शहर हब में निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के बाहर बलूचिस्तान आवामी पार्टी (बीएपी) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के समर्थकों के बीच झड़प हुई। आठ फरवरी को हुए चुनाव में बीएपी को मुहम्मद सालेह भूटानी ने अनौपचारिक नतीजे घोषित होने के बाद जीत का दावा किया था, लेकिन पीपीपी के अली हसन जहरी ने पुन: मतगणना कराने की मांग की थी। इसके बाद पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने पुन: मतगणना का आदेश दिया था। मतगणना के दौरान दोनों पार्टियों के समर्थक भिड़ गए। पीपीपी समर्थकों ने दावा किया कि यह नतीजों की घोषणा में देरी करने की साजिश है। बलूचिस्तान प्रांत में पिछले सप्ताह हुए आम चुनाव के बाद से अशांति बनी हुई है।