आईएमपीसीएल के निजीकरण का उत्तराखंड में विरोध

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हल्द्वानी। आईएमपीसीएल के निजीकरण पर कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी मोहान पहुंचकर एक घंटे का मौन उपवास रखकर रोष जताया। उन्होंने कहा कि कंपनी का निजीकरण रोकने के लिए देहरादून विधानसभा से दिल्ली संसद तक संघर्ष में वह कर्मचारियों के साथ रहेंगे।
बुधवार को आईएमपीसीएल कर्मचारियों को समर्थन देने पूर्व मुख्यमंत्री रावत मोहान पहुंचे। कंपनी के निजीकरण के विरोध में उन्होंने एक घंटे का मौन उपवास रखकर विरोध जताया। वहीं, कर्मचारियों ने भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर निजीकरण निरस्त करने की मांग की। उपवास के बाद पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि यह फैक्ट्री यूनानी और परंपरागत दवाइयां को बनाती है। स्थानीय उत्पादों की खपत यहां सबसे अधिक है। कंपनी से हजारों लोग अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हुए हैं। वहीं, पांच सौ से अधिक को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है। कहा कि निजीकरण से इन लोगों के समक्ष रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा। कहा कि यहां की करीब 32 एकड़ जमीन पर भू-माफिया की नजर है। हजारों लोगों की आजीविका की कीमत पर आलीशान रिजॉर्ट आदि बनाने की तैयारी चल रही है। कहा कि वह सभी कर्मचारी संघ यूनियन के साथ आंदोलन में खड़े रहेंगे। देहरादून विधानसभा से लेकर दिल्ली संसद तक हर संघर्ष में कांग्रेस पार्टी कर्मचारियों के साथ होगी। कर्मचारियों ने जल्द निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त नहीं होने पर देहरादून में मुख्यमंत्री आवास के घेराव की चेतावनी दी है। कहा कि इसके लिए ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, जिला पंचायत सदस्यों, सरपंचों आदि को जोड़ा जाएगा। जनसंपर्क अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करेंगे। सीएम आवास के साथ सांसद आवासों का भी घेराव किया जाएगा। उत्तराखंड सरपंच संगठन के प्रदेश अध्यक्ष घनानंद शर्मा ने कहा कि पूरा संगठन कर्मचारियों का समर्थन देगा। मोहान में मंगलवार को कंपनी में बाहरी लोगों के आने पर कर्मचारियों का गुस्सा फूट गया था। कर्मचारियों ने बाहरी लोगों को कंपनी के अंदर नहीं घुसने दिया था। इस पर भी कर्मचारी नहीं पाने पूरी राहत कर्मचारियों ने फैक्ट्री के बाहर पहरा दिया। ताकि कोई बाहरी कंपनी में ना आ सके। साथ ही, कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ भी प्रदर्शन किया।

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