कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस अधिसूचना में कहा गया था कि सबरीमाला मंदिर के सर्वोच्च पुजारी के पद के लिए आवेदन करने वाला उम्मीदवार सिर्फ मलयाली ब्राह्मण समुदाय से ही होना चाहिए।
जस्टिस अनिल के नरेंद्रन और जस्टिस पी.जी. अजित कुमार की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं के इस तर्क को खारिज कर दिया कि अधिसूचना में निर्धारित शर्तें ‘अस्पृश्यता’ नहीं होंगी और संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत उल्लंघन होंगी। संविधान के अनुच्छेद 25(2)(बी) के तहत संरक्षित अधिकार मंदिर में प्रवेश करने और पूजा करने का अधिकार है। यह अधिकार चरित्र में पूर्ण और असीमित नहीं है। कोई भी हिंदू सदस्य अधिकारों के हिस्से के रूप में दावा नहीं कर सकता। यह अनुच्छेद 25(2)(बी) के तहत संरक्षित है कि मंदिर को दिन और रात के सभी घंटों में पूजा के लिए खुला रखा जाना चाहिए, या वे सेवाएं कर सकते हैं जो अर्चक अकेले कर सकते हैं।