न्यूयॉर्क। जलवायु परिवर्तन को लेकर तत्काल कड़े कदम उठाना जरूरी हो गया है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो सदी के अंत तक पृथ्वी की एक-तिहाई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। जलवायु संकट को लेकर साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में ये चौंकाने वाले दावे किए गए हैं।
अध्ययन में जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता से संबंधित 30 वर्षों के डाटा की समीक्षा की गई है। इसमें दावा किया गया है कि अगले 75 वर्षों में पृथ्वी की जैव विविधता के एक महत्वपूर्ण हिस्से के विलुप्त होने का खतरा है। इसमें कहा गया है, पेरिस जलवायु लक्ष्य को हासिल नहीं करने पर दुनियाभर में जानवरों, पशुओं और पेड़-पौधों की प्रजातियां तेजी से खत्म होने लगेंगी। उभयचर, पर्वतीय और पानी में रहने वाली प्रजातियों को इससे सबसे ज्यादा खतरा है। अध्ययन के मुताबिक, यदि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा कर लिया जाए तब भी वैश्विक स्तर पर 50 प्रजातियों में से एक यानी करीब 1.8 लाख प्रजातियां वर्ष 2100 तक विलुप्त होने का सामना कर सकती हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लोबल स्टडीज के प्रमुख शोधकर्ता और पारिस्थितिकीविज्ञानी डॉ. जॉन डो ने बताया, पृथ्वी के तापमान में 2.7 डिग्री की बढ़त से 20 फीसदी जबकि 5.4 डिग्री की वृद्धि से 30 फीसदी प्रजातियों के खत्म होने का डर है।