लखनऊ। राजेंद्र तिवारी
योगी मंत्रिमंडल के तीसरे विस्तार में पूर्वांचल को तरजीह मिली है। ओबरा विधायक संजीव कुमार और गाजीपुर सदर से विधायक संगीता बलवंत को राज्यमंत्री बनाया गया है। हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार में जातिगत समीकरण से लेकर क्षेत्रीय संतुलन तक का पूरा ध्यान रखा गया है। नए चेहरों में एक ब्राह्मण, दो एससी, तीन ओबीसी और एक एसटी को शामिल किया गया है।
सत्ता में दोबारा वापसी के प्रयासों में जुटी भाजपा सरकार और संगठन ने नए मंत्रिमंडल में शामिल सात मंत्रियों व चार एमएलसी के मनोनयन के जरिये न केवल जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है बल्कि युवाओं, महिलाओं के साथ ही अपनी ही पार्टी के चेहरों को तरजीह दी है। मंत्रिमंडल में शामिल चेहरों में तीन ओबीसी हैं। वहीं दो अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति के हैं। वहीं जितिन प्रसाद मंत्रिमंडल में ब्राह्मण चेहरे के रूप में शामिल हुए हैं। गौरतलब है कि पार्टी ने अपने गैर यादव-गैर जाटव समीकरण पर कायम रहते हुए। ओबीसी के साथ ही दलित जातियों को भी संदेश देने की कोशिश की है। गाजीपुर से डा. संगीता बिंद को शामिल करना दरअसल, अलग हुए सहयोगी दल सुभासपा के समीकरण को पूर्वांचल में बिगाड़ने की कोशिश है। ओम प्रकाश राजभर पूर्वांचल में बिंद जाति के नेताओं को अपने दल में खास तरजीह दे रहे थे। वहीं बसपा के समीकरण की गति को मध्यम करने के मकसद से अवध क्षेत्र के बलरामपुर से पल्टू राम और मेरठ के हस्तिनापुर से दिनेश खटीक को राज्यमंत्री बनाया गया है। पार्टी इसके जरिये एक तीर से दो निशाने लगाना चाहती है। पश्चिम में वह चंद्रशेखर की आजाद पार्टी की रफ्तार थामने की कोशिश में है तो अवध में देवीपाटन से लेकर अयोध्या-अंबेडकरनगर में बसपा से जुड़े दलितों को संदेश देने की कोशिश है। वहीं बरेली से केंद्रीय मंत्री रहे संतोष गंगवार के हटने के मद्देनज़र ही बहेड़ी के छत्रपाल सिंह गंगवार को शामिल किया गया है। उनके जरिये रुलेहखंड में संदेश देने की कोशिश की गई है कि पार्टी के लिए ओबीसी वर्ग के कुर्मी समाज का भी महत्व बरकरार है। पार्टी ने जिन सात मंत्रियों को शामिल किया है, उनमें एक छत्रपाल सिंह गंगवार को छोड़ दें तो बाकी छह मंत्रियों की औसत उम्र 49 वर्ष है। यही नहीं पार्टी ने ऐसे चहरों को महत्व दिया है जो पहली बार विधानसभा पहुंचे। इनमें मुख्य रूप से डा. संगीता बलवंत, संजय गौड़, पल्टू राम और दिनेश खटीक पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। इन चारों की ही उम्र 43 से लेकर 49 वर्ष के बीच यानी औसतन 45 वर्ष है। उन्हें पार्टी व संगठन के प्रति निष्ठा का पुरस्कार मिला।