नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
ओबीसी संविधान संशोधन विधेयक को सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया है, जिसे मंगलवार को चर्चा कर पारित कराया जाएगा। इस विधेयक को पेश किए जाने के समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी सदन में मौजूद रही। खास बात है कि इस विधेयक पर सरकार व विपक्ष के बीच सहमति भी दिखाई दी। उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने ओबीसी की पहचान करने व इनकी सूची बनाने संबंधी संसद में सोमवार को पेश संविधान संशोधन बिल का समर्थन करती है। केंद्र केवल खानापूर्ति न करे, बल्कि सरकारी नौकरियों में ओबीसी के वर्षों से खाली पदों को भरने का ठोस काम भी करे। इस विधेयक के पास होने के बाद जहां राज्यों को एक बार फिर ओबीसी सूची में किसी जाति को अधिसूचित करने का अधिकार मिल जाएगा।
सोमवार सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के 79 वर्ष पूरे होने का उल्लेख किया और कहा कि यह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के करो या मरो के नारे के साथ यह जन आंदोलन बन गया और अंग्रेजी दासता से मुक्त होने के लिए पूरा देश एकजुट हुआ। सदन ने कुछ पल मौन रहकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी। लोकसभा ने टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक व बजरंग पूनिया द्वारा कांस्य पदक जीतने पर बधाई दी। इसके बाद लोकसभा में विपक्ष ने फिर पेगासस जासूसी मामले को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 को भी पेश किया। इस पर कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण से संबंधित इस विधेयक को पारित कराना चाहते है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम विपक्ष की जिम्मेदारी समझते हैं। सभी विपक्षी दलों ने फैसला किया कि इस पर चर्चा कराके पारित कराया जाना चाहिए। इस विधेयक के साथ देश के पिछड़े वर्ग का संबंध है। इससे पहले जब संविधान संशोधन लाया गया था तो हमने कहा था कि प्रदेशों के अधिकारों का हनन नहीं किया जाए। लेकिन बहुमत के बाहुबल से सरकार हमारी बात नहीं सुनती। सियासी विशेषज्ञों का कहना है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने एक और राजनीतिक दांव खेला है। केंद्र सरकार ने संसद में संविधान (127वां संशोधन) विधेयक पेश कर दिया। इस विधेयक के पास होने के बाद जहां राज्यों को एक बार फिर ओबीसी सूची में किसी जाति को अधिसूचित करने का अधिकार मिल जाएगा। वहीं, इसे सरकार की पिछड़ों में पकड़ और मजबूत करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।