परमाणु कचरा को सुरंग में किया जाएगा दफन

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हेलसिंकी। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से पृथ्वी को बचाने के लिए फिनलैंड अनोखे प्रयोग की तैयारी में है। फिनलैंड ने ओनकालो में चार अरब डॉलर की लागत से एक विशेष सुरंग बनी है। इसमें परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से हर साल पैदा होने वाले 6500 टन कचरे को दफन किया जाएगा। सुरंग में पड़े कचरे से एक लाख साल तक कोई खतरा नहीं होगा। इसके बाद इस कचरे का प्रभाव पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाएगा। प्रक्रिया 2025 से शुरू होगी। फिनलैंड की कचरा प्रबंधन संगठन पोसिवा ने वर्ष 2019 में इस योजना को लॉन्च किया था। इसके तहत परमाणु कचरे को पानी से भरे कंटेनर में रखकर जमीन पर दफन करने से इंसानों और पृथ्वी को भविष्य में भारी नुकसान से बचाया जा सकता है। वर्ष 2026 तक तांबे के 3250 बड़े डिब्बो में कचरे को भरकर जमीन में दबाने की तैयारी है। ये डिब्बे 17 फीट लंबे होंगे। बोरवेल जो 230 फीट गहरी होगी। तांबे के डिब्बे में जब कचरा भर जाएगा तो उसे इसमें डालकर सील कर दिया जाएगा। फिनलैंड इसके अलावा एक और तकनीक पर काम कर रहा। इसमें कांच के विशालकाय पाइप में परमाणु ऊर्चा संयंत्रों से निकलने वाले कचरे को जमीन के भीतर 500 फीट नीचे दबाया जाएगा। इससे पृथ्वी को कोई भी नुकसान नहीं होगा। परमाणु कचरे से भरे विशालकाय डिब्बों को रोबोट से उठाया जाएगा। इसके बाद उसे दफन करने की प्रक्रिया होगी। वैज्ञानिकों का दावा है इस तकनीक के जरिए कचरे के निस्तारण से विकिरण निकलने का खतरा न के बराबर रहेगा। फिनलैंड वर्ष 2120 तक परमाणु कचरे को जमीन के भीतर दबाकर पर्यावरण को सुरक्षित बनाने की कोशिश में जुटा है। दुनिया के अधिकतर देशों में परमाणु कचरे को जमीन के भीतर ही सुरक्षा नियमों के साथ दफन किया जाता है। हालांकि इससे विकिरण या दूसरे जीवों को खतरा बना रहता है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्ता एजेंसी के अनुसार परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से निकलने वाले कचरे का बेहतर ढंग से निस्तारण सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए नए विकल्पों पर ध्यान देने की जरूरत है।

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