नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
सरकार एनआरआई को बच्चा गोद लेने और उसे विदेश ले जाने में होने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठा रही है। अब प्रस्तावित नए नियमों के तहत उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। हिंदू अडॉप्शन और मेंटेनेंस एक्ट के तहत ऐसी दिक्कतों को दूर करने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय एक नोटिफिकेशन लाने की तैयारी में है।
अब तक देश से बाहर किसी बच्चे के अडॉप्शन में हिंदू अडॉप्शन और मेंटेनेंस एक्ट शामिल नहीं था। इसके तहत हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख बच्चा गोद ले सकते हैं। यह एक पर्सनल लॉ है। इस एक्ट और हेग कन्वेंशन में काफी अंतर था। इसलिए अगर हिंदू एक्ट के तहत कोई एनआरआई बच्चा गोद लेता था तो उसे बच्चे को देश से बाहर ले जाने के लिए कारा (सेंटर अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) से एनओसी नहीं मिल पाता था। उन्हें कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते थे।
महिला और बाल विकास मंत्रालय जो नया नोटिफिकेशन लाने की तैयारी कर रहा है, उसके बाद कारा हिंदू अडॉप्शन एक्ट के तहत गोद लिए गए बच्चे के लिए भी जेजे एक्ट में गोद लिए गए केस की तरह एनओसी देगा। एनआरआई बच्चे को गोद लेकर जिस देश में ले जाना चाहते हैं, उसमें भी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया साथ साथ शुरू हो जाएगी। सरकार ने एनआरआई के लिए दो साल तक भारत में ही रहने का नियम भी बदला है ताकि अभिभावक और बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया में दिक्कत ना हो।
कोई बच्चा गोद लिया जाता है तो उसे दो साल तक मॉनिटर किया जाता है, यह देखने के लिए कि बच्चा उस परिवार में व्यवस्थित कर पा रहा है या नहीं। अब तक यह नियम था कि एनआरआई को मॉनिटरिंग के लिए दो साल तक भारत में ही रहना होगा। लेकिन, अब इसे बदला गया है। अब एनआरआई अगर बच्चे को गोद लेते हैं तो वह दो हफ्ते का नोटिस देकर कभी भी बच्चे को अपने साथ विदेश ले जा सकते हैं। अब मॉनिटरिंग का काम उन देशों में भारतीय करेगा। अभिभावकों को डिप्लोमेटिक मिशन को अपना पता सहित सारी जानकारी देनी होगी। बच्चे की सुरक्षा के लिए वे जो निर्देश देंगे, वह मानने होंगे।