लखनऊ। 34 नवनिर्मित फायर स्टेशन के वर्चुअल लोकार्पण और चार फायर स्टेशन के शिलान्यास करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 73 वर्षों में केवल 288 फायर स्टेशन थे, जबकि पिछले सात वर्षों में 71 नए फायर स्टेशन स्थापित किए गए।
मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर फायर स्टेशन के वर्चुअल लोकार्पण समारोह कहा कि हमारी सरकार ने कानून-व्यवस्था में व्यापक सुधार के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया तो आधुनिकीकरण के लिए समयबद्ध तरीके से कार्यक्रम चलाए। यह उसी का परिणाम है कि आज अग्निशमन विभाग प्रदेश की इमरजेंसी सेवाओं में एक बेहतरीन सेवा देने के लिए अपने आप को तैयार कर रहा है। विभाग की सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए अब तक लगभग 1400 करोड़ रुपये दिए गए हैं। पिछले सात वर्षों में विभाग के आधुनिकीकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, साथ ही विभाग में अधिकारियों की तैनाती भी की गई है। पहले अक्सर उद्यमी एनओसी को लेकर शिकायतें करते थे। अब उसमें कई बदलाव कर उसका सरलीकरण कर दिया गया है। इससे ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में यूपी की रैंकिंग में काफी सुधार हुआ। रिस्पांस टाइम को कम करें मुख्यमंत्री ने कहा कि फायर टेंडर के रिस्पांस टाइम को कम करने पर जोर होना चाहिए ताकि जन-धन की हानि को कम से कम किया जा सके। पिछले कुछ वर्षों में इसमें काफी सुधार भी हुआ है। यही वजह है कि 33000 से अधिक अग्नि दुर्घटनाओं में 3780 जनहानि को रोका गया। साथ ही 5000 से अधिक पशुओं के साथ ही 150 करोड़ रुपये की संपत्ति को नष्ट होने से बचाया गया। इसके अलावा विभाग तेज लू के दौरान फसलों में आग लगने की घटनाओं पर काबू पाने के लिए सदैव खड़ा रहता है। इसे ही ध्यान में रखते हुए हमने आपात सेवाओं का उच्चीकरण करने का कार्य किया है। इस दिशा में न केवल अग्निशमन सेवाओं के आधुनिकीकरण बल्कि प्रदेश में एसडीआरएफ के गठन की कार्रवाई को भी पूरा किया गया है। आज एसडीआरएफ की छह कंपनियां काम कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग रिस्पांस टाइम को कम करता है तो आम आदमी के मन में विभाग और शासन के प्रति विश्वास मजबूत होगा। उसके लिए सहायता को पहुंचाना हमारा दायित्व है। विभाग को अपने खाली समय में स्कूल और कॉलेज में बच्चों के प्रशिक्षण के लिए भी प्रयास करना चाहिए, उनकी काउंसिलिंग को भी कार्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए, क्योंकि सामान्य दिनों में केवल विभाग के भरोसे ही रहकर नहीं बल्कि घटना घटित होते ही बचाव शुरू हो, यह महत्वपूर्ण है। बचाव के लिए हम लोगों को पहले से ही तैयार करें। कौन-कौन सी लापरवाही अग्निकांड के लिए जिम्मेदार होती हैं, कैसे हम जनधन की हानि को रोक सकें, इसके प्रति लोगों को पहले से तैयार कर सकें तो घटना के बाद जब तक सहायता पहुंचती है, तब तक लोग स्वयं भी अपने स्तर पर बचाव अभियान की शुरुआत कर सकते हैं। हर घटना हमारे लिए एक सबक होनी चाहिए और फिर उस सबक को लोगों तक पहुंचाना चाहिए, ताकि लापरवाही से बचा जा सके। सीएम ने कहा कि कहीं कोई दुर्घटना होती है तो अक्सर लोग वहां पर फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी करते रहते हैं। उस समय हमें सबसे पहले वहां पर लोगों को बचाना चाहिए, राहत कार्यों में भाग लेना चाहिए। इस मौके पर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह व परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशन में पुलिस विभाग अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल बन गया है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, डीजीपी प्रशांत कुमार, महानिदेशक अग्निशमन एवं आपात सेवा अविनाश चंद्र व एडीजी पद्मजा चौहान समेत कई अफसर मौजूद रहे।