लंदन। वैज्ञानिकों ने मलेरिया की रोकथाम के लिए अब मच्छरों का ही सहारा लिया है। वे मच्छरों के जरिये मलेरिया का टीका विकसित करने में कामयाब हुए हैं। यह टीका मौजूदा इलाजों की तुलना में बीमारी के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकता है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। नीदरलैंड के लीडन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर और रैडबाउड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने टीके का सफल परीक्षण किया है। इस टीके को जीए2 नाम दिया गया है और यह आनुवांशिक रूप से बदले गए प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी पर आधारित है। यह वही परजीवी है जो मच्छरों के काटने पर मानव रक्त में पहुंच जाता है और मलेरिया का कारण बनता है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने मच्छरों में पाए जाने वाले इस परजीवी में आनुवांशिक रूप से बदलाव कर टीका विकसित किया है। टीका मच्छर के काटने पर परजीवी को खून में जाने से रोकता है और लिवर तक नहीं पहुंचने देता, जिससे मलेरिया का खतरा टल जाता है। जीए1 टीके की तुलना में यह अधिक कामयाब रहा है। अध्ययन में 25 स्वस्थ वयस्कों को शामिल किया गया। उन्हें तीन समूहों जीए2 समूह (10 प्रतिभागी), जीए1 समूह (10 प्रतिभागी), प्लेसबो समूह (5 प्रतिभागी) में बांटा गया। तीनों समूहों को 28 दिन के अंतराल पर तीन बार टीकाकरण किया गया। इसके बाद, मच्छरों के जरिये मलेरिया संक्रमण के संपर्क में लाया गया। अंतिम टीका लगाए जाने के तीन हफ्ते बाद परीक्षण के परिणाम उत्साहजनक रहे। जीए2 समूह के 89% प्रतिभागियों को मलेरिया से सुरक्षा मिली। जीए1 समूह में यह आंकड़ा महज 13 फीसदी था। प्लेसबो समूह के किसी भी प्रतिभागी को बीमारी से सुरक्षा नहीं मिली। जीए2 समूह के किसी भी प्रतिभागी में टीकाकरण के बाद मलेरिया नहीं पाया गया। इन प्रतिभागियों ने मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता दिखाई। जबकि अन्य दो समूहों में समान स्तर के एंटीबॉडी बने और जीए2 समूह ने अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की। यह सुरक्षा सेलुलर इम्यून सिस्टम की बेहतर प्रतिक्रिया के कारण संभव हो पाई।