अब चायनीज अखरोट ने किया भारतीय बाजार में घुसपैठ

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हल्द्वानी। चीन के इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के बाद अब वहां के अखरोट भी भारतीय उत्पादों के लिए खतरा बन रहे हैं। नेपाल से सटे उत्तराखंड के बनबसा क्षेत्र में ऐसा ही देखने को मिल रहा है। यहां नेपाल के रास्ते पहुंच रहे चीन के अखरोट की वजह से कश्मीरी अखरोट की बिक्री 75 प्रतिशत तक गिर गई है। इसकी वजह चीन के अखरोट के रेट भारतीय अखरोट की तुलना में काफी कम होना बताया जा रहा है। हालांकि स्थानीय व्यापारी चीन के अखरोट की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए इसकी सप्लाई रोकने की मांग कर रहे हैं।
व्यापारियों ने बताया कि दो महीने से चीन का अखरोट नेपाल से होकर भारतीय बाजार तक पहुंच रहा है। इसका आकार पहाड़ के अखरोट से कुछ बड़ा है। इसके अलावा चीन से आ रहे अखरोट का स्वाद बिल्कुल फीका है। हल्की सफेदी के साथ ही पॉलिश इस अखरोट के ऊपर परत जैसी लगी होती है। खास बात यह भी है कि जहां भारतीय अखरोट में पर्याप्त तेल होता है, वहीं चीन से आ रहे अखरोट में तेल की मात्रा काफी कम होती है। जिससे इसकी पोषणता पर भी सवाल उठ रहे हैं। बनबसा के प्रतिष्ठित व्यापारी रफी अंसारी ने बताया कि बनबसा के अलावा खटीमा व अन्य बाजारों में भी चायनीज अखरोट पांच और दस किलो की पैकिंग में आ रहा है। उत्तराखंड के व्यापारियों के मुताबिक भारत में इस समय कश्मीर और हिमाचल का अखरोट सर्वाधिक सप्लाई होता है। लेकिन नेपाल के रास्ते चीन के अखरोट की भारतीय बाजार में सप्लाई बढ़ गई है। एक आंकड़े के मुताबिक बनबसा-टनकपुर बाजार में पहले हर महीने कश्मीर व हिमाचल के करीब दस कुंतल तक अखरोट की खपत होती थी। लेकिन अब इसमें 75 फीसदी गिरावट आ गई है। इसका कारण चीन के अखरोट की कीमत काफी कम होना है। भारत का अखरोट इस समय 600 रुपये प्रति किलो मिल रहा जबकि चायनीज 400 रुपये किलो बिक रहा है।

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