नई दिल्ली । अर्पणा पांडेय
गांव से लेकर शहर तक छात्र अब अपने लक्ष्य को तय करते हुए शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। यह संभव होगा नई राष्ट्रीय नीति से। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़े तत्वों में से एक है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं को यह विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का युवा अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है। वह मौका चाहता है और पुराने बंधनों व पिंजरों से मुक्ति चाहता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने दशकों से ये माहौल देखा है जब समझा जाता था कि अच्छी पढ़ाई करने के लिए विदेश ही जाना होगा। उन्होंने कहा कि लेकिन अच्छी पढ़ाई के लिए विदेशों से छात्र भारत आएं। सर्वश्रेष्ठ संस्थान भारत आएं। यह अब हम देखने जा रहे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिए जाने के एक साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम और उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए दिशा निर्देश सहित शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई कार्यक्रमों की शुरुआत भी की। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री, राज्यपाल और उपराज्यपाल, विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षा व कौशल विकास के क्षेत्र से जुड़े देश भर के नीति निर्माता, छात्र और शिक्षक भी शामिल हुए।
समारोह में प्रधानमंत्री ने ग्रेड 1 के छात्रों के लिए तीन महीने का नाटक आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल विद्या प्रवेश, माध्यमिक स्तर पर एक विषय के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए तैयार किए गए एकीकृत कार्यक्रम निष्ठा 2.0, सफल (सीखने के स्तर के विश्लेषण के लिए संरचित मूल्यांकन), सीबीएसई स्कूलों में ग्रेड 3, 5 और 8 के लिए एक योग्यता आधारित मूल्यांकन ढांचा और पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समर्पित एक वेबसाइट की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि आज शुरु हुई योजनाएं नए भारत के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगी।