नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
मोदी कैबिनेट की बैठक में बुधवार को दूरंसचार क्षेत्र में सीधे 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी है। इसका उद्देश्य संरचनात्मक और प्रक्रिया से जुड़े सुधारों को बेहतर करना है। वहीं प्री-पेड से पोस्ट-पेड और इसके विपरीत में स्थानांतरण के लिए फिर से नए केवाईसी की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार ने कनेक्शन के लिए इस्तेमाल में लाए गए कागजी ग्राहक अधिग्रहण फॉर्म को डिजिटल स्टोरेज से बदलने को मंजूरी दे दी है। इससे कंपनियों के गोदामों में पड़े लगभग 300-400 करोड़ कागज के फॉर्म की जरूरत खत्म हो जाएगी।
बैठक के बाद संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार की कोशिश है कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर नियामक बोझ घटाया जाए और ये सुनिश्चित किया जाएगा कि उपभोक्ताओं के हितों से कोई समझौता न हो। उन्होंने बताया कि कंपनियों के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के फैसले से देय राशि के वार्षिक भुगतान में चार साल तक की मोहलत दी जाएगी। वहीं 2021 को छोड़कर पिछली नीलामियों में खरीदे गए स्पेक्ट्रम के देय भुगतान पर, शुद्ध वर्तमान मूल्य के संगत नीलामी की रकम चुकाने के लिए चार साल तक की मोहलत दी जाएगी। हालांकि इन कंपनियों को इस मोहलत की समय अवधि का ब्याज राशि देना होगा। जिसे इक्विटी के माध्यम से भुगतान करने का विकल्प दिया जाएगा। सरकार की कोशिश है कि दूरंसचार क्षेत्र में नकदी प्रवाह को आसान बनाकर राहत दी जाए। इससे बैंकों को दूरसंचार क्षेत्र में पर्याप्त निवेश करने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा वायरलेस उपकरण के आयात के लिए 1953 की सीमा शुल्क अधिसूचना के तहत लागू आयात लाइसेंस व्यवस्था की जगह अब सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा। वहीं ग्राहकों के केवाईसी या उसमें सुधार के लिए एप आधारित डिजिटल व्यवस्था को मंजूरी दी गई है। साथ ही ई-केवाईसी की दर को संशोधित कर केवल एक रुपया कर दिया गया है। कैबिनेट में ये भी फैसला हुआ है कि आने वाले समय में नीलामी में किश्त भुगतान को सुरक्षित करने के लिए किसी बैंक गारंटी की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं भविष्य की नीलामी में स्पेक्ट्रम की अवधि 20 से बढ़ाकर 30 वर्ष कर दी गई है। नीलामी में मिलने वाले स्पेक्ट्रम के लिए स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क भी खत्म कर दिया गया है। स्पेक्ट्रम साझेदारी को प्रोत्साहित करते हुए इस पर लगने वाला 0.5 फीसदी अतिरिक्त स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क भी हटा दिया गया है। सरकार का मानना है कि इन फैसलों से मुश्किल दौर से गुजर रहे टेलीकॉम उद्योग को राहत मिलेगी। साथ ही ग्राहकों को और बेहतर सुविधा देने का वातावरण तैयार हो सकेगा।