बिहार में एनडीए का कुनबा बढ़ा, आरजेडी गठबंधन को झटका

पटना बिहार लाइव राष्ट्रीय

पटना। बिहार की चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम ने बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को और विस्तार दिया है। राज्य में सत्ताधारी दल की ताकत पहले की तुलना में अब और बढ़ गई है। उपचुनाव परिणाम आते ही एक ओर जहां एनडीए के तीन घटक दल जदयू, भाजपा और हम के विधायकों की संख्या बढ़ गई है वहीं दूसरी ओर महागठबंधन में राजद और भाकपा माले की ताकत पहले की तुलना में कम हो गई है। राजद और कांग्रेस के बागी विधायकों की संख्या को जोड़ दें तो 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में एनडीए का आंकड़ा 137 हो चुका है। वहीं विपक्षी खेमे के विधायकों की संख्या अब 106 ही रह गई है।
विधानसभा में दलगत स्थिति देखें तो भाजपा पहले ही नंबर वन पार्टी बन चुकी थी। उपचुनाव के बाद उसके पाले में दो और विधायकों की संख्या बढ़ गई है। जदयू विधायकों की संख्या में भी एक का इजाफा हुआ है। रामगढ़ और तरारी में मिली जीत के बाद भाजपा विधायकों की संख्या 78 से बढ़कर 80 हो गई है। जबकि बेलागंज में ऐतिहासिक जीत के बाद जदयू विधायकों की संख्या 44 से बढ़कर 45 हो गई है। वहीं हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा की संख्या फिर से चार हो गई है। केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी के सांसद बनने के बाद उनकी बहू दीपा मांझी ईमामगंज से चुनकर सदन में आ गई हैं। एनडीए के खेमे में निर्दलीय सुमित सिंह पहले से ही हैं। वे सरकार में मंत्री भी हैं। दूसरे निर्दलीय शंकर प्रसाद का झुकाव भी सत्ताधारी दल की ओर ही हैं। राजद विधायकों की संख्या तकनीकी तौर पर 77 है। लेकिन उसके चार विधायक पार्टी से बगावत कर सरकार के साथ जा चुके हैं। ऐसे में राजद के वास्तविक विधायकों की संख्या अब सिर्फ 73 ही रह गई है। इसी तरह कांग्रेस के 19 विधायक हैं। लेकिन इनके भी दो विधायक पाला बदलकर सरकार के साथ जा चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस के भी मौजूदा विधायकों की संख्या 17 ही रह गई है। हालांकि इन विधायकों की सदस्यता को संबंधित दलों की ओर से चुनौती दी गई है जिस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। वहीं तरारी में मिली हार के बाद सदन में भाकपा माले के विधायकों की संख्या भी 12 से घटकर 11 रह गई है। बाकी अन्य दलों की स्थिति यथावत है।

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