‘पौधों के रंग’ का मंगल पर रहने से हो जाएगा इंसान

अंतरराष्ट्रीय

नई दिल्ली, देव।
मंगल पर बसने का सपना देख रहे लोगों को यह पता नहीं है कि वहां उनका रंग पौधों की तरह यानी हरा हो जाएगा। विज्ञानिकों ने शोध से यह खुलासा किया है।
काफी समय से मंगल ग्रह पर इंसानों को बसाने का सपना वैज्ञानिक देख रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में लाल ग्रह पर धरती की तरह घर बना जा सकते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में चेतावनी दी है कि मंगल पर रहने से इंसानों का रंग बदलकर हरा हो सकता है। साथ ही आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा है। यह शोधटेक्सास में राइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है। उनके मुताबिक, मंगल ग्रह पर कठिन परिस्थितियों के बीच इंसानों का जीवित रहना बेहद मुश्किल होगा। क्योंकि वहां पर इंसानों में अधिक मात्रा में उत्परिवर्तन की घटना होने की संभावना है। जीवविज्ञानी डॉ स्कॉट सोलोमन के अनुसार, मंगल पर कम गुरुत्वाकर्षण बल और उच्च विकिरण के कारण उत्परिवर्तन की स्थिति बनेगी। इससे त्वचा का रंग हरा, कमजोर मांसपेशियां और आंखों की दृष्टि जाना जैसी घटनाएं हो सकती हैं। पृथ्वी की तुलना में मंगल एक छोटा ग्रह है और इसका गुरुत्वाकर्षण हमारे ग्रह से 30 प्रतिशत कम है। वहीं लाल ग्रह पर एक सुरक्षात्मक ओजोन परत और चुंबकीय क्षेत्र की भी कमी है, जो ग्रह को अंतरिक्ष विकिरण, ब्रह्मांडीय किरणों, यूवी और सूर्य से निकलने वाले आवेशित कणों के संपर्क में लाता है। इस प्रकार के वातावरण के कारण मनुष्यों में अत्यधिक दर पर उत्परिवर्तन होता है ताकि वे नई परिस्थितियों का सामना कर सकें। डॉ. सोलोमन ने कहा कि गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण हड्डियां नाजुक हो सकती हैं, जिससे प्रसव के दौरान महिलाओं की हड्डियां टूट सकती हैं।

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