नई दिल्ली, अर्पणा पांडेय।
दो राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और नेशनल कांफ्रेंस को सफलता मिली है। हरियाणा में तीसरी बार खिला कमल तो 370 मुक्त जम्मू कश्मीर में नेकां की सरकार तय है। भाजपा ने हरियाणा में अप्रत्याशित सफलता हासिल कर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है, वहीं जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेस ने गठबंधन में बड़ी सफलता हासिल की है। हरियाणा में यह पहला मौका होगा जबकि कोई दल लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करेगा। जम्मू कश्मीर में जनादेश नेशनल कांफ्रेस व कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में आया है।
हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बीच लगभग सीधी लड़ाई थी। नतीजों से साफ हो गया कि 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा व कांग्रेस में लगभग सीधी लड़ाई हुई और बाकी दोनों गठबंधन( इनेलो-बसपा और जजपा-आजाद समाज पार्टी) वोटकटवा ही साबित हुए। इनका प्रभाव इतना भी नहीं रहा कि वे विधानसभा में सत्ता के गणित को प्रभावित कर सकें। भाजपा ने 48 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। इसके पहले उसने 2014 में 47 सीटें जीती थीं। इस बार का माहौल कांग्रेस के पक्ष में था। लोकसभा चुनावों के समय से ही भाजपा सत्ता विरोधी माहौल से जूझ रही थी, लेकिन चौंकाने वाले जनादेश में भाजपा को सफलता मिली, जबकि कांग्रेस अपनी ही रणनीति में मात खा गई। कांग्रेस 37 सीटों पर जीत हासिल कर सकी। इनेलो को दो और तीन निर्दलीय को जीत मिली। हरियाणा में पिछली बार किंगमेकर रही जजपा का खाता भी नहीं खुला। कांग्रस का अंतर्कलह भी उसके लिए नुकसानदेह शामिल हुई। हरियाणा में कांग्रेस को जाट राजनीति पर लगाए दांव का नुकसान हुआ। कांग्रेस को ज्यादा जाट टिकट देने और भावी जाट मुख्यमंत्री का संदेश देने का नुकसान हुआ और अन्य समुदाय भाजपा के साथ खड़े दिखे। जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस को 42, भाजपा को 29, कांग्रेस को छह, जेकेपीडीपी को तीन, जेपीसी, सीपीएम व आम आदमी पार्टी को एक-एक और सात सीटें निर्दलीय को मिली हैं। कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेस व माकपा ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था, जिसे 49 सीटें मिली हैं। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 व 35 ए के हटने के बाद यह पहला चुनाव था, जिसमें भाजपा को जम्मू क्षेत्र में अपना आधार बनाए रखने में सफलता मिली, वहीं घाटी में उसके खिलाफ जनादेश गया। भाजपा की चुनावी रणनीति जहां अनुच्छेद 370 को हटाने, आतंकवाद पर अंकुश लगाने और विकास पर केंद्रित थी, वहीं नेशनल कांफ्रेंस ने खुलकर 370 की बहाली की घोषणा की थी। जम्मू कश्मीर में जहां भाजपा को 370 हटाने को बड़ी उपलब्धि बताने का नुकसान हुआ। जम्मू कश्मीर में घाटी का जनमानस 370 को लेकर भावनात्मक रुख रखता है। जिन छोटे दलों व निर्दलीय पर भाजपा ने दांव लगाया था उनको भी इसका नुकसान हुआ क्योंकि लोगों में यह संदेश चला गया कि निर्दलीय भाजपा के साथ जा सकते हैं। सबसे खास बात यह रही कि दोनों ही राज्यों में जनादेश त्रिशंकु नहीं रहा। दोनों जगह एक दल या चुनाव पूर्व गठबंधन को बहुमत मिला। यानी फिलहाल जोड़-तोड़ की कोई संभावना नहीं है। इन नतीजों का असर आने वाले दो राज्यों झारखंड व महाराष्ट्र पर भी पड़ सकता है। दोनों राज्यों में दो गठबंधनों में मुकाबला है। इन परिणामों के बाद यह भी साफ है कि स्थानीय मुद्दे ज्यादा प्रभावी होते हैं।