नई दिल्ली। नीलू सिंह
रेलवे स्टेशनों पर ‘कुल्हड़ में चाय’ की जल्द वापसी होने वाली है। पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने 15 साल पहले रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ की शुरुआत की थी, लेकिन प्लास्टिक और पेपर के कपों ने चुपके से कुल्हड़ की जगह हथिया ली।
उत्तर रेलवे एवं उत्तर पूर्व रेलवे के मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक बोर्ड की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार रेल मंत्री पीयूष गोयल ने वाराणसी और राय बरेली स्टेशनों पर खान-पान का प्रबंध करने वालों को मिट्टी से बने कुल्हड़ों, ग्लास और प्लेट के इस्तेमाल का निर्देश दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस कदम से यात्रियों को न सिर्फ ताजगी का अनुभव होगा बल्कि अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे स्थानीय कुम्हारों को बाजार मिलेगा। जोनल रेलवे और आईआरसीटीसी को सलाह दी गई है कि वे तत्काल प्रभाव से वाराणसी और रायबरेली रेलवे स्टेशनों की सभी ईकाइयों में यात्रियों को भोजन या पेय पदार्थ परोसने के लिये स्थानीय तौर पर निर्मित उत्पादों, पर्यावरण के अनुकूल पक्की मिट्टी के कुल्हड़ों, ग्लास और प्लेटों का इस्तेमाल सुनिश्चित करें। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष पिछले साल दिसंबर में यह प्रस्ताव लेकर आए थे। केवीआईसी अध्यक्ष वीके सक्सेना ने बताया, हमें बिजली से चलने वाले चाक दिए गये हैं जिससे हमारी उत्पादकता बढ़ गई है। इसकी मदद से हम दिन में करीब 600 कप बना लेते हैं। ऐसे में यह अहम हो जाता है कि हमें अपना उत्पाद बेचने और आय के लिए बाजार मिले। हमारे प्रस्ताव पर रेलवे के सहमत होने से लाखों कुम्हारों को बाजार मिलेगा। सक्सेना ने कहा कि केवीआईसी इस साल बिजली से चलने वाले करीब 6,000 चाक समूचे देश में वितरित करेगी।