नई दिल्ली, देव कुमार। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को काशी में गंगा पर देश के सबसे चौड़े रेल-सड़क पुल निर्माण को मंजूरी दे दी। इस पर ट्रेनों के लिए चार ट्रैक और छह लेन चौड़ा राजमार्ग होगा। पुल का निर्माण वाराणसी-पंडित दीन दयाल उपाध्याय मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना के तहत होगा। परियोजना पर 2,642 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है।
रेल, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि उपरोक्त परियोजना में गंगा पर एक नया रेल-सड़क पुल और तीसरी-चौथी रेलवे लाइन बनाने का काम शामिल है। इसका उद्देश्य क्षमता, दक्षता में सुधार करना और क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है। वैष्णव ने बताया कि प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना परिचालन को आसान बनाएगी और भीड़भाड़ कम करेगी। यह परियोजना वाराणसी और चंदौली जिलों से होकर गुजरती है। उन्होंने कहा कि वाराणसी रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ता है और तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय आबादी के लिए प्रवेश द्वार के रूप में काम करता है। यात्री और माल ढुलाई दोनों के लिए महत्वपूर्ण वाराणसी-डीडीयू जंक्शन मार्ग, कोयला, सीमेंट और खाद्यान्न जैसे सामान के परिवहन के साथ-साथ बढ़ती पर्यटन और औद्योगिक मांग को पूरा करने में अपनी भूमिका के कारण भारी भीड़ का सामना करता है। परियोजना से इस खंड में भीड़भाड़ से राहत के अलावा 2.78 करोड़ टन प्रति वर्ष माल ढुलाई का अनुमान है। वैष्णव ने कहा कि यूपी के दो जिलों से जुड़ी इस परियोजना से भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 30 किलोमीटर की बढ़ोतरी होगी। पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन होने के कारण रेलवे, जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टक लागत को कम करने के साथ ही कार्बन उत्सर्जन 149 करोड़ किलोग्राम कम करने में मदद करेगा। यह छह करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।