नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
सीनियर हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का 91 साल की उम्र में बुधवार देर रात निधन हो गया। हैदरपुरा स्थित घर पर रात 10.35 बजे अंतिम सांस ली।
वे ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी धड़े के नेता थे। गिलानी 15 सालों तक पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य की 87 सदस्यों वाली विधानसभा के सदस्य रहे थे. वह 1972, 1977 और 1987 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोपोर से सदस्य रहे। गिलानी के निधन पर प्रधानमंत्री, पीडीडीयू प्रमुख महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।
कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हैदरपुरा स्थित अपने घर पर मंगलवार रात 10.35 बजे अंतिम सांस ली। गिलानी का परिवार उन्हें हैदरपुरा में ही सुपुर्द-ए-खाक करना चाहता है। गिलानी पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता माना जाता था। उनका जन्म 29 सितंबर 1929 को बांदीपोरा में हुआ था। उन्होंने तहरीक-ए-हुर्रियत की स्थापना की। गिलानी के परिवार में दो बेटे और चार बेटियां हैं। गिलानी ने इस साल जून में ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस (एपीएचसी) से इस्तीफा दे दिया था। 29 सितंबर, 1929 को जन्मे गिलानी को हाल ही में 14.4 लाख रुपये का जुर्माना भरने के लिए एक रिमाइंडर नोटिस भेजा गया था, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत उन पर लगाया गया था। वर्ष 1993 में 20 से अधिक धार्मिक और राजनीतिक पार्टियां ‘ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ के बैनर तले एकत्रित हुईं और 19 साल के मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ इसके संस्थापक चेयरमैन बने। बाद में गिलानी को हुर्रियत का चेयरमैन चुना गया। गिलानी और उनके समर्थकों ने हुर्रियत से अलग होकर 2003 में एक अलग संगठन बना लिया था. वह आजीवन हुर्रियत (गिलानी) के चेयरमैन चुन लिए गए थे. उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत को छोड़ दिया था। पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि गिलानी साहब के इंतकाल की खबर से दुखी हूं। हमारे बीच ज्यादा मुद्दों पर एकराय नहीं थी, लेकिन में उनकी त्वरित सोच और अपने भरोसे पर टिके रहने को लेकर उनका सम्मान करती हूं। अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दे। उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करती हूं।
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