नई दिल्ली। नीलू सिंह
सुप्रीम कोर्ट ने पुलवामा में आतंकी हमले के बाद कश्मीरियों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं के मद्देनजर शुक्रवार को केंद्र समेत 11 राज्यों को तलब किया है। साथ ही सभी राज्यों से कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने 11 राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को कश्मीरियों पर हमले में तत्काल आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जिन राज्यों को तलब किया गया है उनमें महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, मेघालय, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और दिल्ली-एनसीआर शामिल हैं। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सभी राज्य सरकारों को कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है। इन राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को कश्मीरी छात्रों सहित कश्मीरियों को धमकी देने, उनसे मारपीट करने और उनका सामाजिक बहिष्कार करने की घटनाओं की रोकथाम के लिएकार्रवाई का निर्देश दिया। पीठ अधिवक्ता तारिक अदीब की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमे पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान मारे जाने की घटना के बाद कश्मीरी जनता और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित रूप से हो रही इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिये केन्द्र और राज्यों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। सुनवाई के दौरान पीठ ने भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाओं के संदर्भ मे नोडल अधिकारियों के रूप में नियुक्त किए गए पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कश्मीरियों पर हमले की घटनाओं से निबटने के लिए जिम्मेदार होंगे। पीठ ने केन्द्रीय गृह सचिव को इसका व्यापक प्रचार करने का निर्देश दिया ताकि कश्मीरी लोग इस तरह की घटना होने की स्थिति में नोडल अधिकारी से संपर्क कर सकें।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विज ने दावा किया कि यह याचिका दायर करने के बाद विभिन्न राज्यों में इस तरह के हमलों की दस से अधिक घटनायें हो चुकी हैं और इसलिए इन पर प्रभावी तरीके से अंकुश पाने के लिए तत्काल निर्देश देने की आवश्यकता है। केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि गृह मंत्रालय ने 17 फरवरी को ही राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में आवश्यक परामर्श जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी किया है परंतु हम राज्यों को ऐसा निर्देश नहीं दे सकते कि ऐसी घटनाओं की स्थिति में किस तरह की कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है।