न्यूयॉर्क ।
अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को अपने देश की बहुपक्षवाद की दीर्घकालिक नीति दोहराई। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं से कहा कि देशों के बीच विवादों को बातचीत और सहयोग के माध्यम से सुलझाने की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र की 76वीं आम सभा को संबोधित करते हुए चीन के राष्ट्रपति ने भी अमेरिका पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना भी साधा है। जिनपिंग ने कहा कि लोकतंत्र पर किसी एक मुल्क का सुरक्षित अधिकार नहीं है। यह सभी देशों के लोगों का अधिकार है। बाहर से सैन्य हस्तक्षेप और कथित लोकतांत्रिक परिवर्तन से कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि इससे नुकसान ही होगा। दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है। हमें टकराव और बहिष्कार पर बातचीत और समावेश को तरजीह देने की जरूरत है। शी की इस टिप्पणी से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि उनका एक नया शीत युद्ध शुरू करने का कोई इरादा नहीं है। वहीं संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनिया गुतारेस ने पहले कहा था वाशिंगटन और बीजिंग दोनों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनके मतभेद और तनाव उनके 42 साल पुराने रिश्ते को पटरी से नहीं उतारें। शी ने रिकॉर्ड किए गए भाषण में कहा कि एक देश की सफलता का मतलब दूसरे देश की विफलता नहीं है। दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है। चीन अक्सर बहुपक्षवाद का उपदेश देता है, हालांकि इसके आलोचकों का कहना है कि ताइवान और दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों के प्रति उसकी नीतियां कुछ और ही संकेत देती हैं। अपने संबोधन में जिनपिंग ने एक अहम घोषणा भी की। शी जिनपिंग ने कहा कि चीन अब विदेशों में नए कोल पावर प्रोजेक्ट पर काम नहीं करेगा। इसे चीन के जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उठाए गए अहम कदम के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि चीन दूसरे देशों को कम कार्बन उत्सर्जन वाली ऊर्जा के उत्पादन में मदद करेगा।